संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी भाषा है और सबसे वैज्ञानिक भी। संस्कृत भाषा तो मुगल काल से विलुप्त होना प्रारंभ हुई थी, और फिर अंग्रेजों ने अपने शासन काल में हमारे ग्रंथों, शास्त्रों, वेदों, उपनिषद इत्यादि को चुराया और अपने देश में उनमें फेर बदल कर रूपांतरित किया। फिर भारत में सेकुलरिज्म के चलते इसे न पढ़ाया गया और न सहेजा गया और आज हालात यह है कि पूरे भारतवर्ष में कुल 14000 लोग ही संस्कृत
भाषा बोलते हैं। संस्कृत भाषा को वैश्विक भाषाओं की मां माना जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा के कई शब्द हमें चीनी, अरबी, अंग्रेजी, हिन्दी , हिब्रू इत्यादि भाषाओं में देखने को मिलते हैं। विश्व की सर्वप्रथम पुस्तक भी संस्कृत भाषा में लिखित ऋग्वेद है। संस्कृत भाषा लुप्त होने पर है परन्तु नासा ने एक नईं उम्मीद जगाई है, नासा के अनुसार संस्कृत भाषा सीखना मुख्य वैज्ञानिकों के लिए अनिवार्य है, तो आईयै आपको विस्तार में बताते हैं किन कारणों से संस्कृत भाषा आज ब्रहमाणड विज्ञान में सबसे सर्वश्रेष्ठ भाषा बन रही है
भाषा का न बिखरना
संस्कृत भाषा कि सबसे प्रमुख विशेषता है जो उसे सबसे लाभकारी बनाती है वो है इस भाषा का न बिखरना। उदहारण के लिए अगर अंग्रेजी में एक वाक्य है ‘Ram goes to home’ अब जब इस वाक्य को अंतरिक्ष में सुना जाए तो वहां पर वायु न होने के कारण हमें मानव निर्मित साधनों का उपयोग करना पढ़ता है और इन साधनों में एक दिक्कत यह आती है कि शब्द बिखर जाते हैं जैसे कि वहां सुनाई देता है ‘Goes ram home to’ या फिर ‘home to ram goes’ इत्यादि।
परन्तु संस्कृत भाषा में यह परेशानी नहीं आती है क्योंकि आप किसी भी संस्कृत के वाक्य को उल्टा-सीधा या किसी भी रूप में पढ़ें उसका अर्थ एक ही रहता है जैसे कि ‘राम गृहं गच्छति’ तो आप इस वाक्य को जिस प्रकार पढ़ना चाहें पढ़ लें जैसे ‘गृहं राम गच्छति’ या ‘गच्छति राम गृहं’ या ‘गच्छति गृहं राम’ तो इस वाक्य का अर्थ नही बदलेगा , वो समान ही रहेगा की ‘ राम घर जाता है’ तो इस प्रकार अंतरिक्ष में संपर्क स्थापित करने के लिए संस्कृत सबसे उपयोगी भाषा है।
प्रोग्रामिंग में सर्वश्रेष्ठ
इस बात को सुनकर आपको हैरानी ज़रूर हुई होगी मगर यह सत्य है कि प्रोग्रामिंग के लिए संस्कृत भाषा बहुत लाभकारी है क्योंकि इसमें एक तो शब्दों के बिखरने की समस्या नहीं है और दूसरा की यह A.I. यानी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सबसे प्रभावशाली भाषा सिद्ध हुई है जिससे की संस्कृत भाषा में प्रोग्राम किए गए रोबोट और साफ्टवेयर ज्यादा कुशलता और सटीकता से कार्य करते हैं। इस भाषा में गलतियां करने की गुंजाइश कम होती है और साफ्टवेयर को भी समझने में आसानी होती है।
इस वक्त NASA super computer 7 पर कार्य कर रहा है और इस बात की पुष्टि हो गई है कि NASA के supercomputer 8 और supercomputer 9 पूर्ण रूप से संस्कृत भाषा में प्रोग्राम किए जाएंगे तो इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि संस्कृत कितनी वैज्ञानिक भाषा है।
वेदों को समझने में मददगार
संस्कृत भाषा में ही वेदों की रचना हुई है और वेदों को समझने में यह सबसे सहायक भाषा है। परन्तु अब बात आती है कि वेदों को समझना क्यों है? आखिर क्या है ऐसा वेदों में? दरअसल वेदों में बहुत ही वैज्ञानिक तथ्य छुपे हुए हैं जैसा कि मेरी एक पोस्ट में मैने पांच श्लोकों का विवरण दिया था जिसमें बहुत ही उन्नत वैज्ञानिक तथ्य थे और जिन्हें आज विज्ञान भी मानने को तैयार हो गया है !
चाहे बात मौसम की हो, पृथ्वी की हो, वायु की, धातु की, भुगोल की, शिक्षा की हो, नेविगेशन की हो, या वायुयान की, राजनीति की हो, आर्थिक विकास हो, धार्मिक हो या शारीरिक इतना ही नहीं हमारे शास्त्रों में आत्मा को शरीर से बाहर निकलने और मंथन करने तक कि विधी बताई गई है और पूरा विश्व इन रहस्यों को जानना चाहता है और इसलिए आज विकसित देशों में संस्कृत पढ़ना अनिवार्य हो गया है ताकि वह महान भाषा में लिखे महान ग्रंथों का अध्ययन कर सकें।
ब्रह्माण्ड का व्याख्यान
संस्कृत भाषा में लिखे गए धर्म शास्त्रों में ब्रह्माण्ड का बहुत ही विस्तृत विवरण मिलता है, चाहे बात हो सूर्य की परिक्रमा करती धरती, धरती की परिक्रमा करता चांद इतना ही नहीं इनके चक्कर लगाने का अंतराल, इनके घूमने की गति इतनी सटीक पाई गई की विज्ञान भी चकरा गया इतना ही नहीं नवग्रहों के बारे में विस्तृत जानकारी कि कितना आकार किस ग्रह का है, कितनी दूरी पर कौन सा ग्रह है , कितनी तीव्रता से कौन सा ग्रह परिक्रमा करता है, किस ग्रह की क्या विशेषता है
इतना ही नहीं सूर्य से धरती की दूरी हनुमान चालीसा में 100% सटीक बताई गई है इसके अतिरिक्त ब्लैक होल के बारे में भी पूरा व्याख्यान मिलता है, जिसे काल छिद्र कहा जाता है, हमारी आकाश गंगा का उल्लेख तो इतना है जितना नासा ने भी नहीं खोजा है। तो ब्रह्माण्ड में होने वाली गतिविधियों के लिए संस्कृत द्वारा अध्ययन किए गए शास्त्र संसार के लिए बहुत ही उपयोगी है।
संस्कृत भाषा की विशेषता का कारण
संस्कृत भाषा को देव वाणी कहा जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि पौराणिक काल में देवगन आकाश से बात संस्कृत भाषा में करते थे और यह भी एक कारण हो सकता है कि जिससे यह अंतरिक्ष में बिखरती नहीं है
क्योंकि यह अंतरिक्ष से यात्रा कर के ही आती थी, और इसका अंतरिक्ष में इस तरह से सरलता से बहना ही इस बात को प्रमाणित करता है कि यह देववाणी है।
दोस्तों जैसे-जैसे नासा को संस्कृत की महानता का पता चला तो उन्होंने भारत से 10,000 संस्कृत के अध्यापकों को बुलाया परन्तु जब अध्यापकों ने आने से मना कर दिया तब अमेरिका ने खुद ही संस्कृत को हर विधालय मे अनिवार्य किया और इसके साथ, जर्मनी, यूक्रेन , माॅरिशयस इत्यादि देशों ने भी संस्कृत को अनिवार्य कर दिया परन्तु भारत जहां पर यह भाषा जन्मी वहां पर इसे खत्म कर दिया गया।