Thursday, April 25, 2024
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कुक्कुटासन: शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करने वाले इस आसन की जानिये विधि और लाभ..

संस्कृत में कुक्कुट का अर्थ मुर्गा होता है। इस आसन में शरीर मुर्गे की आकृति के समान लगता है, इसीलिए इसे कुक्कुटासन का नाम दिया गया है। यह आसन शरीर के संतुलन लिए बहुत अच्छा है। यह कन्धा, बांह, कोहनी इत्यादि लिए बहुत महत्वपूर्ण योगाभ्यास है।

कुक्कुटासन के लाभ

कुक्कुटासन के अभ्यास से आप अपने बाहों, कन्धों और कोहनी को सुडौल ,मजबूत और दर्द मुक्त बना सकते हैं।

यह आसन फेफड़ों और छाती को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

पाचन में लाभकारी: इसके अभ्यास से आपका पाचन तंत्र सक्रिय हो जाता है।

शरीर संतुलन में : यह संतुलन तथा स्थिरता को बढ़ाता है।

मूलाधार चक्र: इस आसन के नियमित अभ्यास से मूलाधार चक्र सक्रिय हो जाता है।

कुक्कुटासन शरीर को सुदृढ़ एवं स्ट्रांग बनाने में मदद करता है।

कुक्कुटासन करने की विधि

सबसे पहले आप स्वच्छ आसन बिछाकर उसपर पद्मासन लगाकर बैठ जाएं।

फिर अपना दायां हाथ दाईं जांघ (thigh) तथा दाईं पिंडली (calf ) के बीच ले जाएं तथा बायां हाथ बाईं जांघ एवं बाईं पिंडली (calf) के बीच ले जाएं।

हाथों को नीचे कोहनियों तक ले जाएं।

हथेलियों को मजबूती से जमीन पर जमाएं

हथेलियों बीच 3-4 इंच की दूरी रखें।

सांस लेते हुए हाथो को मजबूती देकर शरीर को जमीन से यथासंभव हवा में उठाएं।

शरीर के भार को हथेलियों पर टिकाएं।

सिर सीधा रखें तथा आंखों को सामने की ओर स्थिर रखें।

धीरे धीरे सांस लें और धीरे सांस छोड़े।

जहां तक भी संभव हो सके इसी स्थिति को बनायें रखें।

लम्बा सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे अपनी पहली स्थिति में आएं।

यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

कुक्कुटासन करने की विधि

हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

बांहों में कन्धों में दर्द ज़्य़ादा दर्द होने पर इस आसन को न करें।

कोहनी की ज़्य़ादा परेशानी में इस आसन को न करें।

प्लीहा समस्या होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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