शाहजहाँ को इश्क का बुत मानने वाले इस सच से भी हो जाये रूबरू
शाहजहाँ की असलियत
शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर पाकिस्तान में हुआ था। मुमताज के अलावा मुगल बादशाह शाहजहां के हरम में 12 बेगमें और भी रहती थीं। हमको यह पढ़ाया जाता रहा हैं की उसने अपनी बेगम मुमताज की याद में ही ताज महल का निर्माण कराया। 17 जून 1631 को अपनी 14 वीं संतान गौहारा बेगम को जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हो गई थी। बतादें कि मुमताज को प्रेग्नेंसी के आखिरी समय में उसके दिलोजान से चाहने वाले प्रेमी शौहर शाहजहाँ ने आगरा से बुरहानपुर (म.प्र) लगभग 787 KM यात्रा करवाई , जिससे लंबी यात्रा से मुमताज को थकान हुई और पेन (दर्द) के कारण उनकी मौत हो गई थी।

मुमताज शाहजहां की 13 बीबियों में चौथी बीबी थीं जिनसे शाहजहां को 13 बच्चे थे। मुमताज की पहली संतान एक लड़की थी जिसका नाम जहाँआरा था।
शाहजहां ने जहाआरा का निकाह ताउम्र नहीं करवाया ना ही उसे करने दिया जिसपे पीछे इतिहासकार अलग अलग कारण बताते है कोई कहता है कि जहाआंरा के समान कोई शहजादा नहीं था किसी ने लिखा कि सल्तनत के टुकड़े होने के भय से शाहजहां ने उसका निकाह नहीं होने दिया।
बर्नियर ने लिखा है, ”उस ज़माने में हर जगह चर्चा थी कि शाहजहाँ के अपनी बेटी के साथ नाजायज़ ताल्लुक़ात हैं. कुछ दरबारी तो चोरी-छिपे ये कहते सुने जाते थे कि बादशाह को उस पेड़ से फल तोड़ने का पूरा हक़ है जिसे उसने ख़ुद लगाया है.”
वहीं एक दूसरे इतिहासकार निकोलाओ मनूची भी कहते हैं कि जहाँआरा के भी प्रेमी थे जो उनसे गुप्त रूप से मिलने आया करते थे.
राना सफ़वी भी मनूची का समर्थन करते हुए शाहजहाँ और जहांआरा के नाजायज़ संबंधों की बात लिखी है

साभार BBC हिंदी
वन्दे मातरम
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