बदरीनाथ हाईवे जितना महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पौराणिक दृष्टि से है उतनी ही अहमियत सामरिक दृष्टि से भी रखता है।
Joshimath: भूधंसाव के कारण आपदा से प्रभावित देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में बदरीनाथ हाईवे भी जगह-जगह धंस रहा है। बीते कुछ दिनों में हाईवे पर दरारों का उभरना तेज हुआ है। यह हाल तब है, जब इस मार्ग से गिने-चुने वाहन ही गुजर रहे हैं।
इस मार्ग से हर रोज यात्रा सीजन में बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी के साथ सीमा क्षेत्र के लिए भी पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। तब हाईवे यातायात का दबाव कैसे झेल पाएगा।
यह साफ है कि हाईवे को स्थायी उपचार की दरकरार है, लेकिन सड़क सुरक्षा संगठन (बीआरओ) दरारों को मिट्टी और मलबे से भरकर यातायात सुचारु रखने का प्रयास कर रहा है।
यह मामला सामरिक दृष्टि से अहम
Joshimath Sinking बदरीनाथ हाईवे जितना महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पौराणिक दृष्टि से है, उतनी ही अहमियत सामरिक दृष्टि से भी रखता है। ऋषिकेश से शुरू हुआ हाईवे जोशीमठ शहर के बीच से होते हुए चीन सीमा से लगी माणा घाटी तक जाता है। जोशीमठ में इस हाईवे का करीब 12 किमी भाग पड़ता है।
आप को बता दें की भूधंसाव से हाईवे के इस हिस्से पर भी खतरा बढ़ रहा है। नगर में 20 से अधिक स्थानों पर हाईवे भूधंसाव से प्रभावित है। मार्ग पर निरंतर नई दरारें आ रही हैं और पुरानी दरारों की चौड़ाई बढ़ रही है। इन्हें बीआरओ मिट्टी और मलबा डालकर भर रही है। सबसे ज्यादा भूधंसाव मारवाड़ी क्षेत्र में है, जहां दस से अधिक स्थानों पर सड़क धंसी है।
चार जगह नई दरारें आईं
शनिवार को जेपी कालोनी से बीआरओ कार्यालय के बीच करीब 500 मीटर के दायरे में चार जगह नई दरारें आ गईं। इधर, मारवाड़ी तिराहे के पास सड़क पर हुए गड्ढे की चौड़ाई भी बढ़ रही है।
और इससे स्थानीय निवासियों के साथ सरकारी तंत्र और सेना के अधिकारियों की चिंता बढ़ना लाजिमी है। वजह यह कि बदरीनाथ धाम, श्री हेमकुंड साहिब और विश्व धरोहर फूलों की घाटी तक ले जाने वाला चमोली से एकमात्र यही मार्ग है।
बदरीनाथ धाम के कपाट अप्रैल में खुलने हैं, जबकि मई में हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होगी और जून में फूलों की घाटी खुल जाएगी। चीन सीमा से लगी माणा घाटी के लिए सेना व आइटीबीपी की समस्त गतिविधियों का संचालन भी यहीं से होता है।.
आप को बताएं की हाईवे पर भूधंसाव वाले क्षेत्रों का अवलोकन किया जा चुका है। हाईवे पर आने वाले पानी की निकासी के लिए सड़क किनारे नाली बनाने के साथ भूधंसाव वाले स्थानों पर मलबा भरकर इसका ट्रीटमेंट करने के बाद डामरीकरण किया जा रहा है। यात्रा के दौरान यातायात सुचारु रखना बीआरओ की प्राथमिकता है।