योग अपनाए सुंदर जीवन पावे
पद्म बकासन मूलतः पद्मासन और वकासन का मिलाजुला रूप है । यह आसन शारीरिक संतुलन के साथ साथ मानसिक संतुलन और शांति प्रदान करता है यह आसन पैंक्रियास के लिए अच्छा होता है और रक्तचाप बढ़ाता है, शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ावा देता है। पद्म बकासन योग अग्न्याशय और पाचन तंत्र के कार्य को नियंत्रित करता है।
पद्म बकासन योग के लाभ
अवसाद कम करने में सहायक है।
रक्तचाप को बढ़ाता है
शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाने में सहायक है।
यह आसन बाहों, कंधों एवं गुर्दे को शक्ति देता है।
यह आसन कंधों, कोहनी पेल्विक मांसपेशियों एवं कलाई के जोड़ों को स्थिर करता है।
पाचन-तंत्र व अग्नाश्य को विनियमित करता है।
पद्म बकासन क़ी विधि
सबसे पहले एक साफ सुथरे शांत समतल स्थान पर आप आसन बिछाकर उस पर पद्मासन में बैठें
शरीर के सामने फर्श पर हाथों को रख दें। इसमें अंगुलियां फैली हुई और अंगुलियों के पोर आगे की ओर होंगे।
फिर हाथों से आगे जमीन दबाते हुए इसकी सहायता से धीरे-धीरे घुटनों के बल आ जायें।
शरीर का भार हाथों पर ले आयें।
संतुलन स्थापित करते हुए धीरे से नितम्बों और टांगों को उठायें और घुटनों को कोहनियों पर ले आयें।
सिर सामने देखते हुए रखे और आखो से सामने देखें।
कुछ समय इसी स्थिति में रहे फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।
शुरू-शुरू में, हर बार दोहराते हुए यह आसन तीन बार करें, जिससे प्रत्येक दोहराव अति अल्प समय के लिए हो। इस प्रकार कुछ समय अभ्यास करने के बाद इस अभ्यास को बढ़ाना शुरू करें जिसमें सामान्य श्वास के साथ कुछ मिनट इसी स्थिति में बने रहें।
भिन्न प्रकार :
पद्म बकासन में आने का एक अन्य मार्ग वृक्षासन के द्वारा है। वृक्षासन में आयें और टांगों को कमल की मुद्रा में ले आयें। वजन को हाथों पर ले आयें जिससे कि सिर का दबाव हट जायें। सिर को थोड़ा-सा पीछे करें और घुटनों को कोहनियों पर ले आयें। कोहनियों को थोड़ा और सीधा करें। सामान्य श्वास लेते हुए एक नियत बिन्दु पर चित्त एकाग्र करें। धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।
पद्म बकासन में सावधानियां
तीव्र ज्वर उच्च रक्तचाप या कोमल नसों की समस्या होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करें।
गर्भवती स्त्री और हाल ही में सर्जरी हुए व्यक्ति इस आसन से बचे
जोड़ो क़ी समस्या से ग्रस्त रोगी इस आसन को ना करें
नव योगी इस आसन को विशेषज्ञ क़ी सलाह से और देखरेख में ही करें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
योग ही वो क्रिया है जिससे हम हर रोगों से मुक्त हो सकते है!