Wednesday, April 24, 2024
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मोहनदास करमचंद गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने सार्वजनिक घोषणा करी कि वो हरिलाल गाँधी से अब्दुल्लाह बन गया है।

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मोहनदास करमचंद गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने 27 जून 1936 को नागपुर में इस्लाम कबूल किया था और 29 जून 1936 को मुंबई में इसकी सार्वजनिक घोषणा करी कि वो हरिलाल गाँधी से अब्दुल्लाह बन गया है।

1 जुलाई 1936 को जकारिया ने अब्दुल्लाह के घर की बैठक में बैठे हुए रोष भरे शब्दों में कहा, ‘अब्दुल्लाह, यह मैं क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारी यह सात साल की छोकरी मंदिर में हवन करने जाती है? यह अब तक मुस्लिम क्यों नहीं बनी? इसे भी मुस्लिम बनाइए, यदि इसे मुस्लिम नहीं बनाया गया तो इसका तुमसे कुछ भी संबंध नहीं है।’

हरिलाल पर इस्लाम का रंग चढ़ गया था और हर हाल में पूरे हिंदुस्तान को इस्लामी देश बनाना चाहता था। उसने जकारिया के सवाल का कुछ जवाब नहीं दिया। लेकिन मनु ने जबाब दिया कि ‘मैं इस्लाम कबूल नहीं करूंगी।’

जकारिया ने अब्दुल्लाह की मासूम बेटी मनु जो उस समय सात साल की थी, उसकी ओर मुखातिब होकर कहा, ‘तुम इस्लाम क्यों नही कबूल करोगी? यदि तुम इस्लाम कबूल नहीं करोगी तो तुम्हें मुंबई की चैपाटी पर नंगी करके तुम्हारी बोटी-बोटी करके चील और कव्वों को खिला दी जाएगी।’

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फिर वे अब्दुल्लाह (हरिलाल) को चेतावनी देने लगा… कि ‘अब्दुल्ला काफिर लड़कियां और महिलाएं अल्लाह की मुस्लिमों को दी गई नेमतें हैं। यदि तुम्हारी लड़की इस्लाम स्वीकार नहीं करती तो तुम इसे अल्लाह की नेमत और अपनी रखैल समझकर इसका भोग करो जिसका तुम्हें पूरा हक है। क्योंकि जो माली पेड़ लगाता है उसे उसका फल खाने का पूर्ण अधिकार है यदि तुम ऐसा नहीं करोगे तो हम इसे चौराहे पर सामूहिक रूप से इसका स्वाद चखेंगे। हमें हर हाल में भारत को मुस्लिम देश बनाना है इसलिए हम पहले लोहे से ही लोहे को काटना चाहते हैं।’ इतना कहकर वह वहां से चला गया।

और उसी रात अब्दुल्ला ने अपनी नाबालिग बेटी को अपनी हवस का शिकार बना दिया। बेटी के लिए पिता भगवान होता है किंतु यहां तो बेटी के लिए पिता शैतान बन गया था‌।

मनु को कई दिन तक रक्तस्त्राव होता रहा जिसके लिए मनु ने एक चिकित्सक से भी उपचार कराया था। पीड़ा से कराहती मनु ने अपने दादा गांधी के लिए, जो कि भारत भर में महात्मा के नाम से प्रसिद्ध हो चुका था, एक पत्र भी लिखा था। जिसके जवाब में गांधी ने लिखा था कि इसमें मैं क्या कर सकता हूं तत्पश्चात मनु ने एक पत्र अपनी दादी कस्तूरबा को भी लिखा था।

खत पढ़कर कस्तूरबा की रूह कांप गई कि फूल सी पोती के साथ दुष्कर्म… वह भी पिता द्वारा?

27 सितंबर 1936 को उन्होंने अपने बेटे अब्दुल्ला के लिए एक पत्र लिखकर उसमें अपनी पोती के साथ दुराचार ना करने की अपील की थी। और साथ ही धर्मपरिवर्तन करने और गौमांस खाने का कारण भी पूछा था।

कस्तूरबा ने गांधी को पत्र लिखकर मुस्लिम बने बेटे को आर्य समाज की मदद से पुनः वैदिक धर्म में दीक्षित करने की अपील की थी। इसके जवाब में गांधी ने कहा कि यह असंभव है यदि उसने मुस्लिम मजहब स्वीकार कर लिया तो इसमें बुराई क्या है?

मैं खुद भी शुद्धि आंदोलन का विरोधी रहा हूं। जब स्वामी श्रद्धानंद मुस्लिम राजपूतों की शुद्धि करके सनातन धर्म में वापसी करने का अभियान चला रहे थे तो उन्हें रोकने के लिए मैंने ही विनोबा भावे को वहां भेजा था। विनोबा भावे ने मेरे कहने पर ही वहां भूख हड़ताल की और सैकड़ों हिंदुओं को मुस्लिम बना कर दम लिया।

जब कस्तूरबा में गांधी से अपनी पोती से दुराचार के विषय में बताया तो गांधी ने जवाब दिया कि ‘करने दो उसे जो करना चाहता है।

‘मैं तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के कुकर्म पर शर्मिंदा हूं’ ऐसा कहते हुए कस्तूरबा घर से निकल गई थी और वहां से सीधे आर्य समाज मुंबई के नेता विजय शंकर भट्ट के पास पहुंची और साड़ी फैलाकर आवाज लगाई कि मुझ अभागन औरत को आपके द्वार से कुछ भिक्षा मिलेगी?
विजय शंकर बाहर निकले और देखा कि जो औरत उनके द्वार पर खड़ी भिक्षा के लिए अलग जगा रही है वह कस्तूरबा गांधी है।

विजय शंकर भट्ट ने पूछा कि मां क्या चाहिए आपको? कस्तूरबा ने रोते हुए कहा कि मुझे मेरा बेटा वापस लाकर दे दो जो विधर्मियों के चंगुल में फंस गया है वह अपनी ही बेटी को सता रहा है उसके साथ दुराचार करता है।

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विजय शंकर भट्ट ने कहा ‘माताजी आप निश्चिंत रहिए यह भिक्षा अवश्य मिलेगी आपको।’ तब कस्तूरबा ने कहा ‘ठीक है जब तक मेरा बेटा वापस नहीं आता मैं यहां से नहीं जाऊंगी’ और उन्होंने उनके घर पर ही डेरा डाल दिया।

श्री विजय शंकर भट्ट ने अब्दुल्लाह की उपस्थिति में इस्लाम के खंडन और वेदों की श्रेष्ठ था पर दो व्याख्यान दिए जिसे सुनकर अब्दुल्ला को आत्मग्लानि हुई कि वह मुस्लिम क्यों बन गया। फिर उन्होंने अब्दुल्ला को महर्षि दयानंद द्वारा रचित पुस्तक सत्यार्थप्रकाश पढ़ने के लिए दी। जिसका प्रभाव यह हुआ कि मुंबई के खुले मैदान में हजारों की भीड़ के सामने अपने भाइयों तथा अपनी माता कस्तूरबा के समक्ष आर्य समाज में अब्दुल्ला को शुद्ध करके पुनः वैदिक धर्म में दीक्षित करके हीरालाल गांधी बनाया गांधी को जब यह पता चला तो बड़ा दुख हुआ कि उनका बेटा फिर से का फिर क्यों बन गया गांधी ने कस्तूरबा को बहुत डांटा कि आप आर्य समाज की शरण में क्यों गई
सुना आपने अब आपके समझ में आ गया होगा यह गांधी कितना इस्लाम प्रेमिका कैसे बंटवारे के समय भी मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए भूख हड़ताल की कैसे स्वामी श्रद्धानंद जी को शुद्धि आंदोलन को बंद करवाने के लिए मुस्लिम को भड़काता था यह वही गांधी है जिसने स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे अब्दुल रशीद को भाई कह कर संबोधित किया था |
मेवात के मुस्लिम पाकिस्तान जा रहे थे उनको रोका किसने गांधी ने तभी आज मेवात में 85 परसेंट मुस्लिम है हिंदू अल्पसंख्यक बनकर रह गए हैं वहां पर,
ऐसा था यह कुकर्मी म्लेक्ष्यो का गांधी परिवार और इतिहासकार इन चादर चोरों की बढ़ाई करते नहीं थकते हैं हमें इस सच्चाई को नहीं बताया और न लिखा

फरहाना ताज की पुस्तक “वेद वृक्ष की छाया तले” से लिया गया लेख |

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