हरिद्वार की जिला अदालत से जितेंद्र त्यागी को बड़ी राहत मिली है. धर्म सांसद के दौरान कथित भड़काऊ भाषण मामले में उन्हें बरी कर दिया गया. अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति की भावनाएं आहत होना आईपीसी की धारा 153-ए के तहत अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
हरिद्वार की जिला अदालत ने 2021 में हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी को बरी कर दिया है. उनके खिलाफ 2022 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप था कि उन्होंने हरिद्वार में 2021 में आयोजित धर्म संसद के दौरान इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.
अदालत का तर्क: धारा 153ए के तहत अपराध सिद्ध नहीं
अदालत के आदेश के अनुसार, त्यागी को यह कहते हुए बरी किया गया कि आईपीसी की धारा 153-ए के तहत अपराध साबित करने के लिए केवल किसी एक व्यक्ति की भावनाएं आहत होना पर्याप्त नहीं है. ना ही किसी को अपमानित करना इस धारा के तहत अपराध की अनिवार्य शर्त है. यदि बोले गए शब्दों से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो वह आईपीसी की धारा 298 के अंतर्गत दंडनीय हो सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि ऐसे शब्द उस व्यक्ति की उपस्थिति में या तब कहे गए हों जब वह सुन रहा हो. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.