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Saturday, May 17, 2025

Chardham Yatra 2025: गंगा सप्तमी तक मां गंगा के होंगे निर्वाण दर्शन, फिर श्रृंगार रूप में देख पाएंगे श्रद्धालु

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गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन कर रहे हैं। अक्षय तृतीया से गंगा सप्तमी तक मां गंगा के निर्वाण पाषाण मूर्ति के दर्शन होंगे। उसके बाद उनके शृंगार रूप के दर्शन श्रद्धालु कर पाएंगे। यह परंपरा 19वीं सदी से चली आ रही है। क्योंकि इससे पूर्व गंगोत्री धाम में मात्र जलधारा की पूजा होती थी।

गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा का जन्मदिवस माना जाता है। तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि इसी दिन गंगा पृथ्वी पर आने के लिए शिव की जटाओं से प्रवाहित हुई थी। यह परंपरा 19वीं सदी से लगातार चली आ रही है। क्योंकि इतिहास के अनुसार इससे पहले गंगोत्री धाम में मात्र जलधारा की ही पूजा होती थी।

पुजारियों ने यहां छोटा मंदिर था बनाया
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि 18वीं सदी से पूर्व गंगोत्री में मात्र जलधारा की पूजा होती थी। पुजारियों ने यहां छोटा मंदिर बनाया था। 19वीं सदी में सन् 1805 के करीब गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया। 1815 में प्रसिद्ध घुमकक्ड़ अंग्रेज डी फ्रेजर गंगोत्री पहुंचा। वह काफी लंबे समय तक गंगोत्री आता जाता रहा।

अंग्रेज डी फ्रेजर के जरिये तीर्थ पुरोहितों की मुलाकात राजा मान माधों सिंह द्वितीय से हुई। उसके बाद जयपुर नरेश ने गंगोत्री धाम में मंदिर का निर्माण करवाया। भले ही उसके बाद कई बार मंदिर का पुनर्निर्माण हो चुका है, लेकिन मंदिर के स्वरूप के निर्माण का श्रेय गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा और जयपुर नरेश को दिया जाता है। 

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