प्रदेश सरकार ने गोल्डन कार्ड पर राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा दी है। इसमें कर्मचारियों व पेंशनरों से प्रति माह पद की श्रेणी के हिसाब से अंशदान लिया जाता है। इसी अंशदान से कैशलेस इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान किया जाता है। लेकिन अंशदान की तुलना में इलाज पर खर्च अधिक हो रहा है। जिस कारण अस्पतालों का 130 करोड़ तक भुगतान फंसा है। योजना में सूचीबद्ध हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट, कैलाश, कनिष्क, मेदांता, नारायण हास्पिटल, धर्मशिला, ग्राफिक एरा हॉस्पिटल ने गोल्डन कार्ड पर इलाज करना बंद कर दिया है।
चार लाख से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों के बने गोल्डन कार्ड
योजना के तहत अब तक चार लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के गोल्डन कार्ड बने हैं। इस योजना में कर्मचारियों के आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा है। लेकिन अंशदान के रूप में कर्मचारियों व पेंशनरों से पद श्रेणी के हिसाब से 250 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक अंशदान लिया जाता है।
कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए गोल्डन कार्ड योजना में अंशदान से ज्यादा इलाज पर खर्च हो रहा है। इस योजना को किस तरह संचालित करना है जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट रखा जाएगा। वर्तमान में गोल्डन कार्ड से होने वाले इलाज के लिए सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता है। यह योजना अंशदान से चल रही है। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री