बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में यहां लोकसभा चुनाव जीत की हैट्रिक लगाई है। तब सीट अकबरपुर कहलाती थी। विशेष बात यह है कि उन्होंने लगातार तीन बार जीत हासिल की और हर बार जीत का अंतर भी बढ़ाया।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का अंबेडकरनगर से गहरा संबंध है। इसकी शुरुआत हुई जब उन्होंने अपनी पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही 29 सितंबर 1995 को फैजाबाद (अब अयोध्या) को अलग कर नए जिले का नाम अंबेडकरनगर रखा। इसके लिए वह अकबरपुर खुद आई थीं। शिवबाबा मैदान पर हुई रैली में ही डीएम और एसपी को जनता से पहले परिचय कराया। इसके बाद, मुख्यमंत्री के हर कार्यकाल में, उन्होंने जिले को महत्वपूर्ण विकास परियोजनाएं दीं।
इस जिले को भी बसपा ने अपना राजनीतिक केंद्र बनाया। 1998 के आम चुनाव में उन्होंने यहां से लड़ने का ऐलान किया था, जिससे विवाद हुआ था। हालाँकि तब भी बहुत से लोगों ने सोचा था कि मायावती अंत तक नहीं आएगी, लेकिन वह नामांकन शुरू होते ही अकबरपुर की सुरक्षित संसदीय सीट से बतौर प्रत्याशी परचा भर दी।
भाजपा और सपा ने स्थानीय प्रत्याशियों पर दांव लगाकर पूरी तरह से प्रतिस्पर्धा की। नतीजतन, भारी मतभेद के बावजूद मायावती सिर्फ 25,179 मतों से जीत सकीं। 2,63,561 मतदाताओं ने उनका समर्थन किया।
– केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार विश्वासमत में गिर जाने के बाद 1999 में फिर हुए चुनाव में भी मायावती ने इसी सीट को चुना। इस बार उन्होंने पिछले चुनाव से शानदार प्रदर्शन किया। 2,59,762 वोट हासिल कर उन्होंने सपा प्रत्याशी राम पियारे सुमन को 53,386 मत के बड़े अंतर से हराया।
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– बसपा प्रमुख ने वर्ष 2004 के चुनाव में भी अंबेडकरनगर का रुख किया। इस बार न सिर्फ उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई वरन जीत का अंतर भी बढ़ाने में सफलता हासिल की। उन्हें 3,25,019 वोट मिले। उन्होंने सपा के शंखलाल मांझी को 58,269 वोट से पीछे छोड़ दिया। हैट्रिक की सफलता के साथ मायावती ने अपने वोटों की संख्या तीन लाख के पार पहुंचा दी। हालांकि वोट में ज्यादा बढ़ोत्तरी सपा प्रत्याशी की भी हुई।