अंग्रेजी में A QUICK BROWN FOX JUMPS OVER THE LAZY DOG एक प्रसिद्ध वाक्य है। अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर उसमें समाहित हैं। किन्तु कुछ कमियाँ भी हैं, या यों कहिए कुछ कलlकारियाँ किसी अंग्रेजी वाक्य से हो नहीं सकतीं।
- अंग्रेजी अक्षर 26 हैं और यहां जबरन 33 का उपयोग करना पड़ा है। चार O हैं और A,E,U,R दो-दो हैं !
- अक्षरों का ABCD… यह स्थापित क्रम नहीं दिख रहा, सब अस्तव्यस्त है !
अब संस्कृत में चमत्कार देखिये !
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क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोटौठीडढण:।
तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोरिल्वाशिषां सह।।
अर्थात्- पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनार कौन ? राजा मय जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं !
आप देख सकते हैं कि संस्कृत वर्णमाला के सभी 33 व्यंजन इस पद्य में आ जाते हैं ! इतना ही नहीं, उनका क्रम भी यथा योग्य है !
ब्रह्मांड में भी संस्कृत की गूंज
देवभाषा संस्कृत की गूंज कुछ साल बाद अंतरिक्ष में सुनाई दे सकती है। इसके वैज्ञानिक पहलू का मुरीद हुआ अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा है। इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के बाद अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जुट गया है। संस्कृत भाषा कि सबसे प्रमुख विशेषता है जो उसे सबसे लाभकारी बनाती है वो है इस भाषा का न बिखरना। उदहारण के लिए अगर अंग्रेजी में एक वाक्य है ‘Ram goes to home’ अब जब इस वाक्य को अंतरिक्ष में सुना जाए तो वहां पर वायु न होने के कारण हमें मानव निर्मित साधनों का उपयोग करना पढ़ता है और इन साधनों में एक दिक्कत यह आती है कि शब्द बिखर जाते हैं जैसे कि वहां सुनाई देता है ‘Goes ram home to’ या फिर ‘home to ram goes’ इत्यादि। परन्तु संस्कृत भाषा में यह परेशानी नहीं आती है क्योंकि आप किसी भी संस्कृत के वाक्य को उल्टा-सीधा या किसी भी रूप में पढ़ें उसका अर्थ एक ही रहता है जैसे कि ‘राम गृहं गच्छति’ तो आप इस वाक्य को जिस प्रकार पढ़ना चाहें पढ़ लें जैसे ‘गृहं राम गच्छति’ या ‘गच्छति राम गृहं’ या ‘गच्छति गृहं राम’ तो इस वाक्य का अर्थ नही बदलेगा , वो समान ही रहेगा की ‘ राम घर जाता है’ तो इस प्रकार अंतरिक्ष में संपर्क स्थापित करने के लिए संस्कृत सबसे उपयोगी भाषा है।
नासा ने माना संस्कृत का लोहा
अपने 100 साल के अनुभव और प्रयोग से नासा संस्कृत को इसके कंप्यूटर प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा मान चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संस्कृत पढ़ने से गणित और विज्ञान की शिक्षा में आसानी होती है, क्योंकि इसके पढ़ने से मन में एकाग्रता आती है। इसकी वर्णमाला भी वैज्ञानिक है।इसके उच्चारण मात्र से ही गले का स्वर स्पष्ट होता है। रचनात्मक और कल्पना शक्ति को बढ़ावा मिलता है। स्मरण शक्ति के लिए भी संस्कृत काफी कारगर है। मिश्रा ने बताया कि कॉल सेंटर में कार्य करने वाले युवक-युवती भी संस्कृत का उच्चारण करके अपनी वाणी को शुद्ध कर रहे हैं। न्यूज रीडर, फिल्म और थिएटर के आर्टिस्ट के लिए यह एक उपचार साबित हो रहा है। अमेरिका में संस्कृत को स्पीच थेरेपी के रूप में स्वीकृति मिल चुकी है।
जयतु संस्कृतम् , जयतु भारतम् …
जय हो हिन्दुत्व की
आप की पसंद की भी जय हो सर