Friday, April 26, 2024
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इंदिरा गांधी ने रिहा किए थे पाकिस्तान के 93 हजार युद्धबंदी, हमारे 54 सैनिक अब भी उनकी जेल में बंद

भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया था। जिसके करीब 60 घंटे बाद उनकी रिहाई की गई। अभिनंदन की रिहाई के बाद से ही उन भारतीय सैनिकों की रिहाई का मुद्दा भी उठने लगा जो 1971 से पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। भारत की ओर से कई सबूत पेश किए गए लेकिन बावजूद इसके ये लोग आज भी जेल में बंद हैं। पाकिस्तान इन सैनिकों के अस्तित्व से इनकार करता रहा है। 

45 साल पहले, पाकिस्तानी सेना के 93,000 सदस्यों ने सफेद झंडे उठाए और 1971 के भारत-पाक युद्ध का अंत करते हुए भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।यह संघर्ष बांग्लादेश की आजादी के युद्ध का परिणाम था, जब बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) पाकिस्तान (पश्चिम) से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था।

ऐसा माना जाता है कि 54 भारतीय सैनिक पाकिस्तान की जेलों में कैद हैं। इन सैनिकों को ‘मिसिंग 54’ कहा जाता है। भारत की ओर से अथक प्रयासों के बावजूद भी ये भारतीय सैनिक वापस नहीं लौटे। जब शुक्रवार को अभिनंदन की रिहाई हुई तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1971 के युद्धबंदियों को रिहा करने की मांग की।

भारत को मिली थी जीत

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और पूर्वी पाकिस्तान ने आजाद होकर बांग्लादेश का रूप ले लिया। इस युद्ध की जीत के बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया। उनकी इच्छा शक्ति और सेना के पराक्रम के कारण ही बांग्लादेश की आजादी संभव हो पाई। लेकिन ये भारतीय सैनिक जिन्हें पाकिस्तान ने जेलों में डाल दिया था, गुमनाम हो गए। 

इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 90 से 93 हजार सैनिकों और नागरिकों को गिरफ्तार किया था। इनमें पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या 81 हजार और नागरिकों की संख्या 12 हजार थी। युद्ध खत्म होने के करीब 8 महीने बाद अगस्त 1972 में शिमला समझौता हुआ। जिसके तहत पाकिस्तानी प्रिजनर्स ऑफ वॉर (पीओडब्लू) यानि युद्धबंदियों को रिहा किया गया।

इंदिरा गांधी की निंदा

इस फैसले को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की काफी निंदा की गई। उनकी निंदा करने वाले लोगों का मानना था कि इंदिरा गांधी ने ऐसा कर कश्मीर समस्या को अपनी शर्तों पर सुलझाने का मौका गंवा दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिसिंग डिफेंस पर्सनल रिलेटिव एसोसिएशन (एमडीपीआरए) की सदस्य सिम्मी वराइच का कहना है कि जो सैनिक लापता हैं, उनके परिवार लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन फिर भी कोई प्रगति नहीं होती। सिम्मी का कहना है कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए और मिसिंग 54 (लापता सैनिकों) की स्थिति स्पष्ट कर इसकी जानकारी उनके परिवार को देनी चाहिए। अभिनंदन वर्तामन के आने के बाद इन परिवारों में अपनों को पाने की उम्मीद जाग गई। उन्हें लगा कि सरकार अब इन लापता सैनिकों के लिए कुछ करेगी।

कौन थे ये 54 लापता सैनिक?

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के बाद इन 54 सैनिक और अधिकारियों को ‘मिसिंग इन एक्शन’ (लापता) या ‘किल्ड इन एक्शन’ (मृत) घोषित किया गया। जानकारी के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि ये सैनिक आज भी जिंदा हैं और पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में कैद हैं। इन 54 लापता लोगों में 30 थल सेना के सौनिक और 24 वायु सेना के सैनिक हैं। इन सैनिकों को वेस्टर्न फ्रंट पर लड़ते हुए गिरफ्तार किया गया था।

54 सैनिकों को लेकर कोई समझौता नहीं

पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को शिमला समझौते के तहत वापस भेजे जाने के बावजूद भी सरकार ने इन 54 भारतीय सैनिकों को लेकर कोई समझौता नहीं किया। इस मामले में सिम्मी का कहना है कि दूसरे देशों में युद्धबंदियों को परिभाषित करने के लिए अलग-अलग श्रेणियां होती हैं लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में बंद सैनिकों की संख्या 54 है, लेकिन ऐसा काफी बाद में पता चला। 1971 के युद्ध के बाद से गायब इन सैनिकों को लेकर 1979 में लोकसभा में एक सूची रखी गई, जिसमें 40 सैनिकों के नाम थे। इस सूची में उन जेलों के बारे में भी बताया गया था जहां इन सैनिकों को रखा गया। इस सूची में बाद में 14 और नाम जुड़ गए। 

क्या रही पाकिस्तान की प्रतिक्रिया?

साल 1989 तक पाकिस्तान का कहना था कि वहां कोई भी भारतीय सैनिक कैद नहीं है। इसके बाद जब यहां बेनजीर भुट्टो की सरकार आई तो उन्होंने ये बात मान ली कि पाकिस्तान की जेलों में भारतीय सैनिक बंद हैं। लेकिन पाकिस्तान फिर अपने पुराने बयान को दोहराने लगा। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने किसी भी भारतीय सैनिक के जेल में होने की बात को खारिज कर दिया।

जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा

सुप्रीम कोर्ट में जब इस मामले को लेकर 2015 में सुनवाई हुई तो सरकार से पूछा गया कि क्या 54 भारतीय युद्धबंदी अब भी जिंदा है। कोर्ट के इस सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता है। सरकार ने कहा, ‘हम नहीं जानते, हमारा मानना है कि इन सभी की मौत हो गई होगी क्योंकि पाकिस्तान इन लोगों के कैद में होने की बात से इनकार करता रहा है।’

क्या इन सैनिकों के बारे में कोई सबूत है?

इन सैनिकों को लेकर कई प्रकार के सबूतों की बात की जाती है। किसी को खत मिलता है तो किसी को अन्य चीजों जैसे किताब आदि से इसके सबूत मिलते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1974 में मेजर अशोक सूरी का खत पाकिस्तान से आया था, इस खत में उन्होंने अपने जिंदा होने की बात कही थी। ये इसलिए हैरान करने वाला था क्योंकि सेना उनके नाम को ‘किल्ड इन एक्शन’ में घोषित कर चुकी है।

कराची से आया खत

साल 1975 में कराची से एक पोस्टकार्ड आया। इस खत में 20 भारतीय सैनिकों के जिंदा होने की बात कही गई। 1980 में आई विक्टोरिया शॉफील्ड की किताब ‘भुट्टो-ट्रायल एंड एक्जीक्यूशन’ में एक ऐसी जेल का जिक्र किया गया, जिसमें भारतीय सैनिक कैद थे। पाकिस्तान के कई रेडियो और अखबारों में भी भारतीय सैनिकों का जिक्र किया जा चुका है।

सभी कोशिशें कर चुके हैं परिवार?

इन युद्धबंदी सैनिकों के परिवार संयुक्त राष्ट्र से लेकर अन्य कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मदद की गुहार लगा चुके हैं। ये परिवार सरकार को भी कई खत लिख चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। एमडीपीआरए जैसे कई संगठन भी सरकार को खत और ईमेल कर चुके हैं। 2007 में एयर वाइस चीफ ने कुछ परिवारों से मुलाकात कर कहा कि जहां सबूत है कि सैनिक पकड़ा गया है और लापता है तो उसकी जांच होनी चाहिए।

जापान में भी कैद थे भारतीय सैनिक

पहले विश्व युद्ध में 20 लाख युद्धबंदी थे, जिनमें 13,492 भारतीय सैनिक शामिल थे। दूसरे विश्व युद्ध में 67,340 भारतीय सैनिक बंदी थे जिनमें से 40 हजार जापान के कैंपों में कैद हुए। इन्हीं में से करीब 30 हजार सैनिक बाद में इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हो गए। माना जाता है कि बाकी के 10 हजार सैनिकों को यातनाएं झेलनी पड़ीं। 

इसे लेकर एक रिपोर्ट 1946 में सामने आई, जिसे देखने के बाद हर कोई भारतीय सैनिकों को लेकर चिंतित हो गया। इस रिपोर्ट में लिखा था कि एक जापानी लेफ्टिनेंट को मौत की सजा सुनाई गई। उसे ये सजा इसलिए सुनाई गई क्योंकि उसने 14 भारतीय सैनिकों को मारकर खाया था। इस घटना को लेकर एक तस्वीर भी सामने आई, जिसमें एक जापानी सैनिक भारतीय सैनिकों पर निशाने की प्रैक्टिस करते हुए दिख रहा है।

किस युद्ध में कितने सैनिक कैद

आंकड़ों के मुताबिक 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में 3942 सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। फिर 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में एयर मार्शल के. नंदा करियप्पा आठ हफ्तों तक युद्धबंदी रहे। इसके बाद 1971 में पाकिस्तान से साथ युद्घ हुआ, जिसमें 600 भारतीय सैनिक युद्धबंदी रहे। साल 1999 में कारगिल युद्ध में ग्रुप कैप्टन कंबापति नचिकेता और स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ा था। 

नचिकेता तो आठ दिनों बाद वापस आ गए लेकिन अजय अहूजा का मृत शरीर आया। अहूजा के शरीर पर गोलियों के निशान थे। नचिकेता को पाकिस्तान में हिरासत के दौरान कई यातनाएं झेलनी पड़ीं। एलओसी से भी कई भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान ने हिरासत में लिया। इन सैनिकों को भी काफी यातनाएं झेलनी पड़ीं।

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