Wednesday, May 8, 2024
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Hijab Row: SC में सरकार ने हिजाब मामले पर कहा, पहले ‘2021 तक छात्र कर रहे थे यूनिफॉर्म का पालन, लेकिन अब PFI ने भड़काया’

सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार ने कहा हिजाब विवाद पर कि 2021 तक सभी छात्र स्कूल की युनिफार्म पहन रहे थे लेकिन पीएफआई ने बाकायदा अभियान चलाकार सभी मुसलमान छात्रों को धमकाने का काम किया.

Karnataka Hijab Row: इस मामले पर कर्नाटक सरकार ने कहा है कि राज्य के स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के विवाद के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामले की सुनवाई के 8वें दिन राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा और अपना सन्देश दिया .

कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि 2022 में बकायदा अभियान चला कर मुस्लिम परिवारों को भड़काया,आगजनी, एवं उकसाया गया वह अपनी बेटियों को हिजाब में स्कूल भेजें. इसके जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा कंधे पर रख कर कॉलेज आने लगे. छात्रों के बीच अनुशासन और एकता के ड्रेस कोड का पालन ज़रूरी था.

पर सरकार असफल रही और अपने कांग्रेसी विचारधारा को पनपाती रही

15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन के सरकारी आदेश को सही ठहराया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि लड़कियों का हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसके खिलाफ 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं. इन पर 7 सितंबर से जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई शुरू की.

मुल्लों के हिजाब समर्थकों की दलील

सुनवाई के पहले 7 दिन हिजाब समर्थक पक्ष के वकीलों ने जिरह की. उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता, भारत की धर्मनिरपेक्षता से लेकर शिक्षा पाने के लड़कियों के अधिकार तक कई मुद्दों को उठाया. सुनवाई के 8वें दिन भी हिजाब के पक्ष में दुष्यंत दवे (वरिष्ठ वकील) ने बहस की. उन्होंने कहा कि छात्र सेना के जवान नहीं हैं कि उनसे ड्रेस कोड का पूरी तरह पालन करवाना अनिवार्य हो.

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने यह भी कहा कि देश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने की प्रवृत्ति बढ़ी है. मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने से किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार ने स्कूलों को ड्रेस कोड बनाने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट ने भी इसे सही ठहरा दिया.

अब जाकर हिन्दुओं ने आवाज उठाना क्या सुरु कर दिया ये समुदाय अपनी औरंगजेव वाली हरकत में आ गए

कोर्ट ने ‘अनुशासन पर ज़ोर दिया’

राज्य सरकार की तरफ से यह जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को गलत बताया कि राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर रोक लगाई है. मेहता ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने शिक्षण संस्थानों में लगातार बिगड़ते अनुशासन को देखा और स्कूल-कॉलेजों को ड्रेस कोड तय करने के लिए कहा. इसके चलते हिजाब ही नहीं, भगवा गमछे पर भी रोक लगी.


वैसे गलती तो गाँधी परिवार की रही है जो आज हम हिन्दू भुगत रहे है जिसके लिए नेहरू गाँधी में अपन हितों को ध्यान में रखते हुए मुसलमानो के लिए अलग देश बनाया वो वहां गए नहीं

आतंकी ‘PFI ने लोगों को उकसाया’

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उडुपी के जिस कॉलेज पी.यू.सी. से यह सारा विवाद शुरू हुआ उसने 2013 में ड्रेस कोड तय किया था. इसमें हिजाब की कोई जगह नहीं थी. सभी छात्र-छात्राएं आराम से ख़ुशी ख़ुशी इसका पालन कर रहे थे. यही नहीं 2014 में इलाके के दूसरे कॉलेजों ने भी यूनिफॉर्म तय किए थे. 2021 तक सब तय यूनिफॉर्म में स्कूल-कॉलेज आते रहे. 2022 में बकायदा एक अभियान चलाया गया. अचानक कई मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन कर कॉलेज आने लगीं. इस अभियान के पीछे विवादित आतंकी संगठन PFI था.

कोर्ट ने ईरान का दिया उदाहरण

सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि हिजाब अभियान और उसके असर के जवाब में बड़ी संख्या में हिंदू छात्र भगवा गमछा कंधे पर रख कर कॉलेज आने लगे. आखिरकार, 5 फरवरी को राज्य सरकार को स्कूल-कॉलेजों से यह कहना पड़ा कि वह अपने यहां ड्रेस कोड तय कर उसका पालन करें. तुषार मेहता ने कहा कि स्कूल-कॉलेज में पहने जाने वाले कपड़ों से समानता और राष्ट्रीय एकता का भाव विकसित होना चाहिए. अलगाव पैदा करने की कोशिशों पर रोक लगनी ज़रूरी है.

जल्द खत्म होगी सुनवाई

कर्नाटक सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवाडगी ने भी पक्ष रखा. एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य सरकार ने जो आदेश जारी किया, वह पूरी तरह से कानूनी था. किसी धर्म से जुड़ी हर बात का सार्वजनिक रूप से पालन ज़रूरी नहीं. अगर कोई बात किसी धर्म का अनिवार्य हिस्सा है, तो उसके लिए छूट दी जाती है. मामले की सुनवाई आगे भी जारी रहेगी. यह उम्मीद की जा रही है कि इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लेगा.

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