Sunday, May 5, 2024
uttarakhandekta
Homeउत्तराखंडBreking: जंगलों की रेखदेख के लिए उत्तराखंड में 500 करोड़ का एक्शन...

Breking: जंगलों की रेखदेख के लिए उत्तराखंड में 500 करोड़ का एक्शन प्लान, पढ़ें क्या होगी व्यवस्था

सार
उत्तराखंड शासन में हुई बजट की चाहत के लिए बैठक में वन विभाग की ओर से फॉरेस्ट फायर मिटिगेशन प्रोजेक्ट पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। इसमें वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं।

विस्तार
जंगलों में लगने वाली आग को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश में हर बर्ष वन विभाग ने 500 करोड़ रुपये का एक्शन प्लान तैयार किया है। अगले पांच वर्षों के लिए तैयार की गई योजना लागू होने के बाद वन महकमा हर साल 100 करोड़ रुपये वनाग्नि नियंत्रण पर खर्च कर सकेगा। जरूरत पर वनाग्नि बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर तक का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

वास्तिविकता

और साथ के साथ इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग उच्च अधिकारी मंत्री अपने स्तर से दिल्ली मिटिन भी अटेंट कर पाएंगे

उत्तराखंड शासन में मंगलवार को हुई बैठक में वन विभाग की ओर से फॉरेस्ट फायर मिटिगेशन प्रोजेक्ट पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। इसमें वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। स्थानीय लोगों की भूमिका को अंकित कर उन्हें ट्रेनिंग संग

प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई है। साथ ही महिला और युवक मंगल दलों को भी इससे जोड़ने की बात हुई।

आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण

आरके सुधांशु


अब तक ऐसे अच्छे सुझाव अधिकारी क्यों नहीं दे सकते
क्या अधिकारी भी जानते है की जब तक डबल इंजन की सरकार नहीं आएगी तो फाइड नहीं मिलेगा क्या

ग्रामीणों के साथ फायर वॉचर को भी आग बुझाने के लिए पहली बार पैसा दिया जाएगा। वन मुख्यालय के मास्टर कंट्रोल रूम को अत्याधुनिक बनाने के लिए कई उपकरणों की खरीद का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा मौसम विज्ञान विभाग की मदद से ऑटोमेटेड वेदर सेंसर लगाने, मॉडल क्रू स्टेशन, एडब्ल्यूएस स्पेशलाइज्ड इक्विपमेंट्स, व्हीकल्स, वायरलेस नेटवर्क मजबूत बनाने, सामुदायिक संस्थानों को योजना से जोड़ने की बात कही गई है।

पचने वाला सुझाव नहीं है पर फिर भी आकर्षित करेंगे पिरूल के उपयोग के लिए ग्रामीणों को

असंभव है पर संभव करने का प्रयास मात्र है, आकर्षण करेंगे किसको गांव के गांव खाली हो गए! बैरहाल अधिकारीयों में सुझाया चीड़ की पत्तियां (पिरूल) वनाग्नि का प्रमुख कारण बनती हैं, जबकि पिरूल से कई उत्पाद बनते हैं। पिरूल से जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि वह जरूरत के अनुसार जंगलों से पिरूल उठा सकें।

प्रदेश में दो हजार घटनाएं प्रति वर्ष वनाग्नि की

उत्तराखंड में प्रतिवर्ष वनाग्नि की करीब दो हजार घटनाएं होती हैं। इनमें हर साल लगभग तीन हजार हेक्टेयर जंगल जलता है। 2022 में अब तक वनाग्नि की 2,186 घटनाएं हुई हैं, जबकि 3425 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा।

आप को बता दे की वन विभाग की ओर से तैयार प्रस्ताव पर प्राथमिक तौर पर चर्चा कर ली गई है। इसमें कुछ अन्य बिंदुओं को जोड़ने के लिए कहा गया है। अगली बैठक में इन पर चर्चा की जाएगी। फाइनल ड्राफ्ट तैयार होने के बाद मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा जाएगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments