लेफ्टिनेंट मयंक सुयाल (Mayank Suyal Army Officer) के पिता भी सेना का अभिन्न अंग रह चुके हैं और अब उनके होनहार बेटे इस इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं
उत्तराखंड और भारतीय सेना का बेहद पुराना नाता रहा है। गौरवशाली सैन्य परंपरा वाले प्रदेश उत्तराखंड से हर साल सबसे अधिक जवान भारतीय सेना का अभिन्न अंग बनते हैं। आज हम आपका परिचय उत्तराखंड के एक ऐसे ही होनहार सपूत मयंक (Mayank Suyal Army Officer) से कराने जा रहे हैं जिन्होंने परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर दिया है। शनिवार को हुई पासिंग आउट परेड में अंतिम पग पार करते ही वे भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं। हम बात कर रहे हैं मयंक सुयाल की जो ओटीए, गया (बिहार) की पासिंग आउट परेड (पीओपी) में अंतिम पग भरकर भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं। लेफ्टिनेंट बने मयंक सुयाल ने सेना का अंग बनकर परिवार की सैन्य विरासत को भी आगे बढ़ाया है। मयंक सुयाल मूल रूप से जनपद टिहरी ग्राम पाली (चंबा) के रहने वाले हैं और अपने परिवार के साथ वे वर्तमान में देहरादून स्थित मोथरोवाला के निवासी हैं। आगे पढ़िए
उनके पिता पीएन सुयाल केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा में खेल अधिकारी पद पर तैनात हैं। इससे पहले वे सेना (17वीं गढ़वाल राइफल्स) में 21 वर्षों तक देश की सेवा प्रदान कर चुके हैं। सेना में लेफ्टिनेंट बने मयंक का कहना है कि उन्होंने बेहद कम उम्र में ही आर्मी में जाने की ठान ली थी और अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और भारतीय सेना में शामिल हुए। लेफ्टिनेंट बने मयंक सुयाल ने स्कूली शिक्षा दून के सेंट थामस स्कूल से पूरी की और इसके बाद उनका चयन सेना में अधिकारी पद पर हो गया। चयन के बाद उन्होंने एक साल ओटीए पुणे व तीन साल सीएमई (कालेज आफ मिलिट्री इंजीनियरिंग) पुणे में प्रशिक्षण प्राप्त किया। आखिरकार बीते शनिवार को बिहार के गया में आयोजित हुई पासिंग आउट परेड में वे भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं। उनकी (Mayank Suyal Army Officer) इस उपलब्धि के बाद से ही उनके परिवार में सभी लोग बेहद खुश और उनके परिजनों के बीच में हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिल रहा है।