साधारणतया जो शुरुआत में योग करना चाहते है और जिनको योगाभ्यास में अत्यधिक खिंचाव से भी परहेज करना है वे इस योग को प्रारंभिक योग के रूप में अपना सकते है।
कैसे की नाम से ही स्पष्ट है इस योग में एक पाँव पर खड़े होकर प्रणाम की मुद्रा को अपनाया जाता जी इसलिए इसे एकपाद प्रणामासन कहा जाता हैं इस मुद्रा में शारीरिक विकारों को दूर करने संतुलन बनाये रखने और चुस्ती के लाभ प्राप्त होते हैं
एकपाद प्रणामासन के लाभ :
यह सन्तुलन और एकाग्रता में सुधार करता है
आत्मविश्वास का विकास करता है।
यह मन को शान्त एवं सन्तुलित करता है।
नवसिखियो के लिए आदर्श आसन है
शारीरिक व्यायाम का प्रथम सोपान है
एकपाद प्रणामासन की विधि
सर्व प्रथम किसी शांत, स्वच्छ और समतल जमीन पर आसन लगाकर उस पर खड़े हो जावे
दोनों टांगें इकट्ठी रखते हुए मैन को शांत व तनावहीन करे
ध्यान रहे शरीर का भार दोनों पैरों पर समान रूप से हो
सामान्य श्वास लेते हुए अब धीरे-धीरे अपना भार बायीं टांग पर ले आयें।
अब दायीं टांग झुकायें और पैर का तलवा हाथों की सहायता से बायीं जांघ के अन्दर की तरफ रखें।
फिर दोनों हाथों की हथेलियों को इकट्ठा छाती के सामने ले आयें व प्रणाम की मुद्रा बनावे।
एक निश्चित बिन्दु पर चित्त एकाग्र करें और इसी स्थिति में बने रहें।
अच्छे सन्तुलन की भावना के साथ आंखें बन्द की जा सकती हैं।
3 से 5 मिनट इस अवस्था मे ठहरे फिर से प्रारंभिक स्थिति में आ जायें
इस व्यायाम को दूसरे पाँव के साथ दोहरावे
एकपाद प्रणामासन में सावधानिया
घुटने की ताजा सर्जरी वाले इस योग को ना करे
गर्भवती स्त्री बीमार व्यक्ति इस आसन को विशेषज्ञ की सलाह पर ही करे