बचपन मे मेरे घर वाले मुझको कहते थे बेटा किताब पानी मे घोल के पीने से अग विध्या आती तो ठीक था
तो यह सुन कर मे झेंप जाता और पढ़ाई करने लगता 😀
पर आज इन नेताओं को और अधिकारियों को देखे तो उनके पीछे इतनी किताब सजाई जाती है की स्वामी विवेकानंद भी पीछे है !
क्या नेताओं के ज्ञान पर किसी को शक हो तो देखे