Saturday, May 18, 2024
uttarakhandekta
Homeउत्तराखंडताज़ा खबरकृषि आय की आड़ में टैक्सेबल आय को छुपाकर कर दायित्व से...

कृषि आय की आड़ में टैक्सेबल आय को छुपाकर कर दायित्व से बचाने वाले हो जाए सावधान, आ गए ये नए प्रावधान

जब कभी बेनामी आय की बात खुलती है तो बेईमान व्यक्ति कृषि आय बताकर कर छूट सहित अन्य लाभ पा जाते है।

पर अब अमीर किसानों को कर अधिकारियों द्वारा अब कड़ी जांच का सामना करना पड़ेगा, जो अपनी इनकम का सोर्स कृषि से अर्जित आय बताकर मौजूदा आयकर कानूनों के तहत टैक्स में छूट पाते हैं.

भारत सरकार ने संसद की लोक लेखा समिति को बताया है कि अपनी इनकम को कृषि से हुई आय के रूप में दिखाकर कर छूट पाने वालों के लिए एक मजबूत फ्रेमवर्क बनाया जा रहा है, जिससे वे आयकर विभाग को चकमा न दे सकें.

ऐसे किसानों को अब गहन जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपए से ज्यादा है. लोक लेखा समिति ने संसद में बताया कि लगभग 22.5% मामलों में, अधिकारियों ने दस्तावेजों के उचित मूल्यांकन और सत्यापन के बिना कृषि से अर्जित आय के मामले में कर-मुक्त दावों को मंजूरी दे दी, जिससे टैक्स चोरी की गुंजाइश बनी रही. लोक लेखा समिति ने गत 5 अप्रैल को संसद में अपनी 49वीं रिपोर्ट, “कृषि आय से संबंधित आकलन” जारी किया था, जो भारत के महालेखा परीक्षक और नियंत्रक जनरल की एक रिपोर्ट पर आधारित है.

छत्तीसगढ़ के एक मामले को बनाया उदाहरण
इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में कृषि भूमि की बिक्री से प्राप्त आय को कृषि आय बताकर ₹1.09 करोड़ की टैक्स छूट पाने का एक मामले को उदाहरण के रूप में शामिल किया गया है. मौजूदा तंत्र में कमियों की ओर इशारा करते हुए संसदीय पैनल ने उपरोक्त उदाहरण देकर कहा कि अधिकारियों ने न तो “दस्तावेजों” की जांच की, जो “मूल्यांकन रिकॉर्ड” में कर छूट का समर्थन करते हैं, न ही उनकी “मूल्यांकन आदेश में चर्चा” की गई.

कृषि आय पर आयकर में छूट का प्रावधान है
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(1) के तहत कृषि आय को कर से छूट प्राप्त है. कृषि भूमि के किराए, राजस्व या हस्तांतरण और खेती से होने वाली आय को कानून के तहत कृषि आय के रूप में माना जाता है. आयकर विभाग ने कहा कि उसके पास अपने सभी अधिकार क्षेत्र में धोखाधड़ी के सभी मामलों की जांच करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति नहीं है, जिसे आयुक्तालय कहा जाता है. संसदीय पैनल को बताया गया कि इस तरह की कर चोरी को रोकने के लिए, वित्त मंत्रालय ने उन मामलों में कर-मुक्त दावों की सीधे जांच करने के लिए अपनी प्रणाली तैयार की है, जहां कृषि आय ₹10 लाख से अधिक दिखाई जाती है.

तो बड़े किसानों और कंपनियों पर टैक्स लगेगा?
आयकर विभाग के एक पूर्व अधिकारी नवल किशोर शर्मा के हवाले से लिखा, ”कृषि से होने वाली आय पर टैक्स का उल्लेख करने मात्र से राजनेताओं को डर लगता है. भारत के अधिकांश किसान गरीब हैं और उन्हें कर में छूट दी जानी चाहिए, लेकिन ऐसा कोई कारण नहीं है कि बड़े और धनी किसानों पर टैक्स न लगाया जाए.” पूर्ववर्ती योजना आयोग (जिसे अब नीति आयोग के नाम से जानते हैं) के एक पेपर के मुताबिक यदि कृषि से होने वाली आय के लिए शीर्ष 0.04% बड़े किसान परिवारों के साथ-साथ कृषि कंपनियों को भी 30% टैक्स ब्रैकेट के दायरे में लाया जाता है, तो सरकार को 50,000 करोड़ रुपये तक का वार्षिक टैक्स रेवेन्यू प्राप्त हो सकता है.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments