Sunday, May 19, 2024
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आज पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे के मेडिकल संस्थान व पेट्रोल पंप पर छापा मारा और वन विभाग के जेनसेट को लाद ले गयी विजिलेंस की टीम।

विशेष सूत्रों से पता चला है की ठाकुर के यहाँ जनरेटर के अलावा अभी और भी कई माल दफन है हवेली में

पूर्व पालतू राम ठाकुर हरक सिंह रावत ने कहा की लिख कर देने के बावजूद वन विभाग नहीं ले गया था जेनसेट-हरक सिंह जो मैंने उसका सही इस्तेमाल किया

अपनी ऊँची पहुँच के चलते कोविडकाल में अपने अस्पताल को चलाने के लिए फौरी तौर पर की गई थी जेनसेट की व्यवस्था-हरक सिंह

आप को बता दें की आज देहरादून में वन विभाग के दो जेनसेट की बरामदगी के लिए सेक्टर हल्द्वानी विजिलेंस टीम ने पूर्व मंत्री ठाकुर हरक सिंह रावत के बेटे के मेडिकल संस्थान व पेट्रोल पंप पर छापा मारा।

हल्द्वानी विजिलेंस टीम ने हरकू के शंकरपुर स्थित मेडिकल संस्थान व छिद्दरवाला पेट्रोल पंप से जेनसेट की बरामदगी की और ट्राली में लादकर ले गए। यह दोनों प्रतिष्ठान पूर्व मंत्री हरक के परिजनों के हैं।

भ्रस्टाचार इतना की सभी सोच रहे है की यह जेनसेट पूर्व मंत्री और मौजूदा कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के बेटे के संस्थान में कैसे पहुंच गया। यह कहानी कोविडकाल से शुरू होती है। कोविडकाल में शंकरपुर स्थित अस्पताल को चलाने का फैसला किया गया। अस्पताल में इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए दो जेनसेट की व्यवस्था की गई।
बैसे देखा जाय यह भ्रस्टाचार पक्ष और विपक्ष दोनों ही कर रहे है
जो इस समय माजूदा सरकार है वो कौन सी दूध की धुली हुई है

दो चोरो की कहानी

तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह के विभाग के एक विवादित जिसका हरिद्वार में भी क्रेशर है जो जिसकी विजिलेंस में भ्रस्टाचार अधिनियम के तहत चार्जशीट लगा कर जेल में पहुंचा दिया है वो डीएफओ किशन सिंह ने एक जेनसेट शंकरपुर अस्पताल पहुंचा दिया था ।

जांच के दौरान बैठे पूर्वमंत्री हरक सिंह रावत

आज बुधवार की दोपहर जब पुलिस सतर्कता अधिस्थान हल्द्वानी टीम ने शंकरपुर स्थित भ्रस्टाचारी हरकू के मेडिकल संस्थान में छापा मारा। तो इस दो जनरेटर की कहानी भी सामने आई। दरअसल, यह भ्रस्टाचार 2017 की भाजपा सरकार के शासनकाल में यह जनरेटर कार्बेट पार्क के लिए खरीदा गया था। उस समय हरक सिंह वन मंत्री थे।

आप को बता दें की इस बाबत, पूर्व भ्रस्टाचारी मंत्री हरक सिंह रावत आरोप है की जब उन्होंने यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास छोड़ा तो राज्य सम्पत्ति विभाग अपना सामान ले गया। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस जनरेटर को नहीं ले गए। हालांकि, इस जेनसेट की वापसी के लिए सम्बंधित विभाग को पत्र भी लिखा गया था।

इस बीच, DFO किशन सिंह एक मामले में जेल चले गए। और जेनसेट की वापसी की प्रक्रिया थम गई।
वैसे आप को बता दें की किशन चंद चाहता हो यह जनरेटर अपने हरिद्वार क्रेशर में भी भेज सकता था पूर्व मंत्री जी

यह आप के मंत्री वाली दादाजी की हनक थी
आप को बता दें की जब 2017 के भाजपा सरकार के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के समय RTO देहरादून के एक अधिकारी के यहाँ डकैती पड़ी और डकैती में चोर लगभग एक करोड़ साठ लाख ले गया यह राज तब खुला जब एक महीने बात उस चोर को दूसरी डकैती में पकड़ा तो डकैत में यह राज उगल दिया

आप को बता दे की वो पैसे यशपाल आर्य का था जो तत्काल पुलिस और शासन के अधिकारिओं के दबा दी

बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत भाजपा ने हरक सिंह को पार्टी से निकाल दिया। हरक सिंह कांग्रेस में चले गए। क्यों की हरक अपने साथ अपनी बहू के लिए भी टिकट की मांग कर रहे थे अगर यह जींद हरकू की ना होती तो आज हरकू भाजापा वाले होते और भरस्टाचार की आज की कहानी ना बनती

जैसे जो जाँच में जो होता है वो विजिलेंस टीम ने जनरेटर की खरीद फरोख्त से जुड़े कागजों की पड़ताल की। इस दौरान ठाकुर हरकू भी मौजूद रहे। पता चला कि यह सरकारी खरीद जांच पड़ताल के बाद विजिलेंस की टीम जनरेटर को एक ट्राली में लादकर ले गयी। दो साल से यह जनरेटर पूर्व मंत्री हरक सिंह के बेटे के मेडिकल संस्थान में घरघरा रहा था। इसके अलावा पेट्रोल पंप का जेनसेट भी विजिलेंस की टीम अपने साथ ले गयी।

बहरहाल, विजिलेंस के छापे में पलटटू राम हरक सिंह के लड़के और बहू के संस्थान व पेट्रोल पंप के बाबत विशेष जानकारी जुटाई गई है।

शंकरपुर मेडिकल संस्थान में विजिलेंस की टीम

उत्तराखंड की राजनीती में ठगों की एंट्री हो गई है इतिहास गवाह है यहाँ कोई जाँच पूरी नहीं हुई जो जाँच चल भी रही है शासन उस जाँच को इतनी देर कर देता है की कोर्ट चार्जशीट के लिए 64 दिन के अंदर कोर्ट में दाखिल नहीं हुई तो कोर्टभ्रस्टाचार के आरोपी को जमानत दे देता है यह है शासन का खेल

बहरहाल आप को बता दें की अब सभी काम लोकसभा चुनाव को लेकर हरक सिंह की सरगर्मी को देखते हुए आने वाले दिनों में सीबीआई,विजिलेंस व ईडी की जांच का शोर भी तेजी से सुनाई देने की उम्मीद है। पूर्व मंत्री हरक सिंह कर्मकार कल्याण घोटाला,अवैध पेड़ कटान व स्टिंग प्रकरण में सीबीआई और विजिलेंस की जांच का सामना कर रहे हैं।

इधर, भरस्टचारी हरक सिंह रावत का कहना है कि पाखरो टाइगर सफारी निर्माण में कोई घोटाला नहीं हुआ है। टाइगर सफारी बनने से कोटद्वार सभी पर्यटकों का सैलाब उमड़ना तय था। इससे कार्बेट से जुड़े रामनगर की बिजनेस लाबी को खतरा पैदा हो

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