Friday, May 17, 2024
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भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 6.4.2024 एवं 7.4.2024 को देहरादून में कुटुम्ब न्यायालय समिति के उत्तरी क्षेत्र सम्मेलन का शुभांरभ किया गया।

अवगत कराया गया है कि 2022 की प्रथम अपील संख्या 102 (वरूण वशिष्ठ बनाम सोनिया उर्फ सोनी) में, माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो कांउसलर, एक बाल काउंसलर और एक जनरल कांउसर नियुक्त करने का निर्देश दिया है। जिससे चार प्रमुख जिलों अर्थात् देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर के पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा करने वाले माता-पिता के बच्चों की मानसिक आवश्यकताओं की जांच की जा सकती है, ताकि बच्चों को मानसिक रूप से पीड़ित न होना पड़े। प्रत्येक पारिवारिक न्यायालय में एक बाल कक्ष स्थापित करने के भी निर्देश दिए गए है ताकि मुकदमा करने वाले माता-पिता के बच्चों के लिए सकारात्मक माहौल बनाया जा सकें।

माननीय मुख्य न्यायाधीश/माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय/माननीय संरक्षक उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर, ए0डी0आर0 में एक पालनाघर क्रेच स्थापित किया गया है। माननीय उच्च न्यायालय परिसर में मध्यस्ािता और सुलह केन्द्र/एडीआर केन्द्र में वैवाहिक विवादों, वरिष्ठ नागरिकों के विवादों आदि के मामलों में परामर्श के लिए एक सामान्य परामर्शदता और टूटे हुए विवाद के बच्चों के परामर्श के लिए एक बाल परामर्शदाता की नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है। देहरादून के नवीन न्यायालय परिसर में भी क्रेच स्थापित किया जा रहा है।

यह भी अवगत कराया गया कि कानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनंाक 11.01.2024 के पत्र के माध्यम से जेएसएस सकरी लॉ कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ0 वीणा माधव टोनापी द्वारा दिए गए सुझावों/सिफारिशों को भी उचित पाया। उक्त सुझावों मंे प्रभावी परामर्श, विवाह परामर्शदाताओं की नियुक्ति और विवाह परामशदाता के रूप में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्तियों के पास युगल और पारिवारिक चिकित्सा में स्नातकोत्तर प्रमाण पत्र या योग्य मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक या सरकार द्वारा विवाह परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किए जाने वाले यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एमएसडब्लू होना चाहिए। भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट संख्या 257 भी साझा पालन-पोषण की अवधारणा के बारे में बात करता है। रिट याचिक (पीआईएल) संख्या 28/2024 (श्रुति जोशी बनाम उत्तराखण्ड राज्य और अन्य) में, माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि प्रस्तावित संशोधन, जैसा कि पत्र दिनंाक 11.01.2024 में उल्लिखित है, वैवाहिक विवादों, पारिवारिक न्यायालयों द्वारा निपटाए जाने वाले संरक्षकता के मामलों और मध्यस्ािता के दौरान इसका अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए।

वर्तमान सम्मेलन के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि हर उस व्यक्ति को, जो पारिवारिक न्यायालय में किसी मुकदमें का सामना भी नहीं कर रहा है, जागरूक किया जाए कि भविष्य में जब उनके बच्चों की शादी हो और उन्हें बच्चा हो तो इसका पालन करना अनिवार्य है। शाह आयोग द्वारा अपनी दिनंाक 22.05.2015 की रिपेार्ट में साझा पालन-पोषण के दिशानिर्देश निर्धारित किए गए है। यह जानकारी आने वाली पीढ़ियों को भी देनी होगी। 9 मई 2009 को दिल्ली में पहले पारिवारिक न्यायालय की स्थापना के बाद से, दिल्ली ने एक लम्बा सफर तय किया है और अब दिल्ली के 11 जिलों में 30 पारिवारिक न्यायालय है। वर्ष 2023 में संदर्भित मामलों में से परामर्शदाताओं के माध्यम से निपटाए गए मामलों का प्रतिशत 51 प्रतिशत था, जो फरवरी 2024 में बढ़कर 60.4 प्रतिशत हो गया। परामर्शदाता विशेष रूप से सौहार्दपूर्ण समाधान के माध्यम से वैवाहिक विवादों के निपटारे में जबरदस्त काम कर रहे है।

राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण, यू0टी0 चंडीगढ़ ने एडीआर सेेन्टर, जिला न्यायालय, सेक्टर 43, चण्डीगढ़ में एक परामर्श केन्द्र भी स्थपित किया है, जो पंजाब, हरियाणा और यू0टी0 राज्यों में अपनी तरह की पहली पहल है। महिला सेल, चण्डीगढ में लम्बित वैवाहिक/पारिवारिक विवादों से सम्बन्धित मुकदमें पूर्व मामलों में परामर्श प्रदान करने के उद्देश्य से चण्डीगढ़ और संभवतः भारत में पहला, तलाक की याचिका, भरण पोषण (धारा 125 सी0आर0पी0सी0 के तहत) बच्चों की हिरासत के मामले, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामले, आईपीसी0 की धारा 498ए के तहत मामले और पारिवारिक विवादों से जुड़े अन्य मामले जिला न्यायालय, चण्डीगढ़ में लम्बित है। यदि हम परामर्श केन्द्र, डीएलएस कार्यालय, एडीआर केन्द्र, जिला न्यायालय परिसर चण्डीगढ़ में मई, 2022 से मार्च 2024 तक मामलों के निपटान के आंकडों को देखें, तो कुल 2274 मामले महिला सेल (वैवाहिक मामले) के समक्ष स्थापित/रेफर किए गए थे। इनमें से 848 मामलों का निपटारा किया गया। (37 प्रतिशत) वहीं अगर हम अपने उत्तराखण्ड राज्य की बात करें तो 2022 से मार्च 2024 की अवधि के लिए हम पाते है कि सफल काउंसलिंग का प्रतिशत केवल 13.03 प्रतिशत है।

न्यायालय के समक्ष कानूनी मामलों से निपटने के दौरान माननीय मुख्य न्यायाधीश, माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा की गई पहल के कारण, पारिवारिक न्यायालय के मामलों में परामर्श में तेजी आ रही है। माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने परिपत्र संख्या 04ध्न्भ्ब्ध्।कउपदण्।ध्2024 दिनंाक 07.03.2024 के माध्यम से निर्णय लिया है कि न्यायिक अधिकारी सप्ताह में एक दिन दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में उन मामलों केा अदालत से बाहर निपटाने का प्रयास करेंगे, जिनमें कुछ साक्ष्य दर्ज किए गए है। मध्यस्थता को प्रोत्साहित करने के लिए, सफल मध्यस्थता पर न्यायिक अधिकारियों को प्रदान की जाने वाली इकाईयां अब प्रत्येक मामले में 1 इकाई से बढ़ाकर 4 इकाईयॉ कर दी गई है।

पारिवारिक न्यायालयों के आलवा, इस न्यायालय ने 2020 के ॅच्च्प्स् नम्बर 136 (संतोष उपाध्याय बनाम उत्तराखंड राज्य) में जेल सुधार के मुद्दे से निपटते हुए, सरकार के दिनंाक 07.011.2023 के एक पत्र पर संज्ञान लिया गया। हिमाचल प्रदेश, कारागार एवं सुधार सेवाएं निदेशालय द्वारा सूचित किया गया कि हिमाचल प्रदेश में जेल कल्याण गतिविधियां एक पंजीकृत सोसाईटी के तहत चलाई जा रही है और जेल में निर्मित उत्पादों की बिक्री पर अर्जित लाभ का 40 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है। इन गतिविधियों में लगे जेल कैदियों को दिया जा रहा है। न्यायालय ने डीएल0एस0ए चण्डीगढ़ द्वारा प्रस्तुत दिनंाक 16.11.2022 की जेल परामर्श रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया। उक्त रिपोर्ट के अनुसार, कैदी केवल साथियों के दबाव, क्रोध, निराशा और रोजगार की कमी के आधार पर अपराध करते है। तद्नुसार न्यायालय द्वारा एक निर्देश जारी किया गया कि हिमाचल प्रदेश सरकार के इस निर्णय को उत्तराखण्ड राज्य में भी लागू किया जाए, विशेष रूप से यह ध्यान में रखते हुए कि प्रत्येक जेल में 85 प्रतिशत कैदी निचले तबके से है और यदि वे कुछ उत्पाद बना रहे है और यदि उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है, तो उनके परिवारों को नुकसान होगा और अंततः जब वे जेल से बाहर आएगे, तो वे फिर से अपराध करेंगे। ॅच्च्प्स् संख्या 38 सन् 2024 में जिला जेल नैनीताल में सुधार के मामले में निरीक्षण रिर्पोट पर स्वतः न्यायालय ने नैनीताल जेल की भीड़भाड पर संज्ञान लिया है तथा महानिरीक्षक (कारागार) को निर्देश दिया गया कि वे नैनीताल के जिला प्रशासन के साथ एक बैठक बुलाएं ताकि नैनीताल में ही एक और जेल के निर्माण की संभावना तलाशी जा सकें। कोर्ट को बताया गया कि नैनीताल जेल में बंद सजायाफ्ता आरोपियों को सितारगंज जेल में शिफ्ट किया जाएगा। न्याय मित्र द्वारा न्यायालय को यह भी बताया गया कि नैनीताल जेल में 40 एचआईवी रोगी, महानिरीक्षक (कारागार) को यह भी निर्देश दिया गया कि वे इन 40 एचआईवी रोगियों, जोकि बहुत भीड़भाड़ वाली नैनीताल जेल में रह रहे है, को सितारगंज जेल की कृषि भूमि में कुछ कॉटेज में स्थानांतरित करने के मुद्दे की जांच करने, जिनकी संख्या लगभग 400 से 500 है।

यह भी अवगत कराया गया कि जल्द ही नारकोटिक्स कंट्र्ौल ब्यूरो के सहयोग से सभी स्कूलों और संस्थानों को मिलाकर एक ड्र्ग जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा ताकि वे बच्चों को नशीली दवाओं के दुरूपयोग के प्रभाव के बारे में जागरूक करें और माता-पिता को बच्चों के लिए घर में एक खुशहाल माहौल बनाने के लिए प्रोत्साहित करे। एनसीबी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में हेरोइन का बाजार बढ़ता जा रहा है। युवाओं और उनके अभिभावकों को यह कदम उठाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे कि वे किसी भी प्रकार का नशा न करें।

इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में माननीय उच्चतम न्यायालय की कुटुम्ब न्यायालय समिति द्वारा तैयार ई कम्पेंडियम का अनावरण किया गया। साथ ही जनपद देहरादून नवीन जिला न्यायालय परिसर में तैयार किए जा रहे नये क्रेच एवं चाईड क्रांउसिलिंग रूम का वर्चुअल उद्घाटन भी किया गया। आज के कार्यशाला के पांच सत्रों में कुटुम्ब न्यायालय सम्बन्धी विभिन्न बिदुंओं पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया।

इस कार्यशाला के प्रथम दिन माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली की न्यायमूर्ति हिमा कोहली, माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड, नैनीताल की मुख्य न्यायमूर्ति कु0 रीतू बहरी, जम्मू एण्ड कश्मीर एव लद्दाख के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति श्री एन0 कोटेश्वर सिंह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति श्री अरूण भंसाली, उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड, नैनीताल के न्यायमूर्तिगण श्री मनोज कुमार तिवारी, श्री रविन्द्र मैठानी, श्री आलोक कुमार वर्मा, श्री पंकज पुरोहित, श्री राकेश थपलियाल, श्री विवेक भारती शर्मा, एवं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद, दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के माननीय न्यायमूर्तिगण, न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण, मध्यस्थगण आदि द्वारा उपस्थित रहे और उनके द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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