Friday, September 20, 2024
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अब्दुल हमीद देश का पहला मुस्लिम शूरवीर? जानिए पूरी कहानी सच की जुबानी

पोस्ट मित्र के सहयोग से प्राप्त हुई आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूं

2009 की घटनाएं… हमें नागदा जेक्शन से रेल यात्रा नागदा से गोरखपुर जाने रेलवे तक का आरक्षण आराम से मिल गया ,

ठीक समय पर यात्रा प्रारंभ हुई ,
सहयात्री में से एक महा सेकुलर हिन्दू बंधू भी थे ,चर्चा में वे भारतीय मुसलमानों को भारत के लिए बलिदान देने वाली कोम बता कर प्रशंसा करने लगे .

मैंने कहा श्रीमान जी कोई उद्दह्र्ण दीजिये ,जिस से आप के विचारों की सत्यता प्रमाणित हो .

सेकुलर साहब ने पहला नाम लिया
एपीजे अब्दुल कलाम का
मेने कहा अन्य कोई ?

वे कहने लगे 1965 के भारत पाक युद्ध में मुख्य योद्धा अब्दुल हामिद के विषय में आपका क्या विचार है ?

मैं उत्तर देता ,तभी एक सज्जन जो अभी तक चर्चा से अलग कोई पुस्तक पढ़ रहे थे ,आयु 80 वर्ष ,किन्तु उत्तम स्वस्थ ,और रोबीले स्वभाव के धनी ,बोल पड़े ,कहने लगे .

अब्दुल हामिद वाली कहानी राजनीती द्वारा बनाई हुई कहानी है

असल योद्धा तो रिवाड़ी हरियाणा के चंद्रभान साहू थे

जिनका पराक्रम एक सेकुलर प्रधानमंत्री द्वारा मार कर अब्दुल हामिद को दिया गया ,और

उसका कारण था मुस्लिम सेनिकों द्वारा पाक से युद्ध करने से मना करना..

सेकुलर साहब ने कहा आप कौन है ?

और आप ये सब कैसे जानते है ?

उन्होंने अपना परिचय दिया ,नाम जोधसिंह राठोड ,.रहने वाले बीकानेर के देशनोक गाँव के

और 1965 के भारत पाक युद्ध में मेजर के पद पर थे

मेजर साहब ने जो कुछ बताया वो आज तक मुझे नहीं पता था ,
उन्होंने बताया की वे राजपूत राइफल की 9 बटालियन के मेजर थे ,

जब पाक ने भारत पर हमला किया तब वे बीकानेर सेंटर में थे .
उस समय राज राइफल में कायमखानी मुसलमानों को भारी संख्या में भर्ती किया हुआ था ,
जब मेजर साहब को पाक को उत्तर देने के लिए आदेश हुआ तब वे अपने सेनिकों के साथ आमने सामने की भिडंत के लिए सीमा पर पहुंचे ,और हमले का उत्तर देने के लिए आदेश दिए ,

किन्तु कायमखानी मुस्लिम सेनिकों ने पाक से युद्ध करने से इंकार कर दिया , स्थिति बड़ी विचित्र थी ,उनके आधे से अधिक सेनिक युद्ध में जाने से मना कर दिए थे ,

मेजर साहब ने तुरंत इस बाबत अपने अधिकारीयों को सूचित किया ,वहां से आदेश आया की अनेक स्थानों पर मुस्लिम सेनिकों ने विद्रोह कर दिया है ,आप सबसे पहले सभी मुस्लिम सेनिकों को शस्त्र विहीन करें ,और उन्हें बंधक बना लें ,

साथ ही आपके राजपूत सेनिकों को माँ जगतम्बा की कसम दिलवाए और उन्हें पाक से लड़ने के लिए भेजें ,हम आपकी सहायता के लिए अन्य बटालियन भेज रहे है

आपको किसी भी प्रकार से हमारे द्वारा भेजी जा रही सहायता पहुँचने तक पाक को रोके रखना है ..

मेजर साहब ने आगे बताया की हमने अपने राजपूत बटालियन के सेनिकों को अपने विश्वास में लिया .और सबसे प्रथम मुस्लिम सेनिकों को बंधक बना लिया ,
कुछ राजपूतों को मुस्लिम सेनिकों पर नजर रखने को छोड़ कर अन्य सेनिकों के साथ हमने पाक को उत्तर देने सुरु किये .

हमारे सामने 140 किलोमीटर की सीमा का भार था ,पाक अपने टेंक ,और तोपखाने के साथ आगे बढ़ रहा था .उस समय पाक के कम से कम 40 हजार सेनिक हम पर हमला कर रहे थे ,और हमारे साथ केवल 3000 सेनिक कुछ टेंक और तोपखाना था ,

राजपूत युवा उस दिन साक्षात् काल का रूप बन कर पाक पर टूट टूट पड़े ,और मात्र 7 घंटों के युद्ध में पाक के 17 टेंक ध्वस्त कर दिए ,पाक के सेनिक और वाहन बड़ी संख्या में हताहत हुए ,700 से अधिक सैनिकों को हमारे लड़कों ने पकड लिया ,

क्यूंकि हमारे पास पकडे गए सैनिको को रखने का साधन नहीं थे ,तो उन्हें तुरंत जन्नत के लिए रवाना करना पड़ा ,

जब तक हमारी सेना की सहायता हम तक पहुंची तब तक

पाक सेना अपनी सलवारें छोड़ कर भाग चुकी थी ,हमने सादिक नहर तक का भूभाग पाक से ले लिया था

मेजर साहब ने बताया की 1965 के युद्ध में अधिकांश मुसलमान सेनिकों को सीमा से हटा कर वापिस छावनियां में रखा गया था ,और युद्ध समाप्ति के उपरांत उन मुस्लिम सेनिकों को मुख्य युद्धक सेना से हटा कर सेवा के कार्यों में लगाया गया था .

कुछ सैनिकों का कोर्ट मार्शल भी हुआ था ,,सेना ने एक नया बिल तैयार किया था ,जिसमे ये तय होना था की भारतीय सेना से मुस्लिम सैनिकों को बाहर किया जाए ,और नए मुस्लिम सैनिक न लिए जाएँ ..

किन्तु दुर्भाग्य की भारत के प्रधान मंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी की हत्या हो गई ,और मुस्लिम परस्त इंदिरा गांधी पंतप्रधान बन कर आई ,

इंदिरा ने मुस्लिम सेनिकों के सभी पाप छुपा दिए ,और अब्दुल हामिद नाम का पर्दा उस पर डाल दिया

मेजर साहब आज भी दिनांक और वार दिन बता कर सभी कुछ वर्णन याद किये हए है ,,

आज मेजर साहब की तीसरी पीढ़ी भारतीय सेना में सेवा दे रही है ..

मेने जब मेजर साहब को बताया की मुझे भारतीय सेना में सेवा करने का सोभाग्य मिला है ,तो वे बड़े हर्षित हुए ,स्नेह और प्यार की वर्षा करते रहे ,

लेख को सेकुलर हिन्दुओं तक अवश्य पहुंचाएं

मेजर साहब के राजपूत वीरों ने जो टेंक पकडे थे वे आज भी बीकानेर की सडकों के चोराहों पर पड़े है

ये तो तय है कि जब तक फ़र्ज़ी गांधी और उनके चमचे हिंदुस्थान में रहेंगे तब तक हिंदुस्थान में इसे ही बंटाधार होता रहेगा

देश के गद्दार आखिर देश मे स्थिरता और समृद्धि लाना चाहेंगे ही क्यू

देश को तोड़ने और लूटने का कोई भी मौका छोड़ेंगे ही क्यू

विदेशी वेश्या की औलाद आखिर धर्म संस्कृति अपनाएगी क्यू

नीच बवालियों की फौज आमजन में शांति चाहेगी ही क्यू

अधम मंदबुध्दि के चाटुकार देश को अपना मानेंगे हु क्यू

धन्य मेरा देश जो इन जैसे कुकर्मियों को झेल रहा है जो जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है
खान्ग्रेसी गद्दार

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