पलायन लंबे समय से उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है इस मुद्दे पर चुनाव के मौसम में राजनीति होना लाज़मी ही है.
एक तरफ विपक्ष कांग्रेस का दावा है माइग्रेशन तो दूर, रिवर्स माइग्रेशन को रोक पाने के मोर्चे पर राज्य सरकार उत्तराखंड सरकार विफल रही, तो वहीं भाजपा सरकार का दावा उल्टा है. इस बयानबाज़ी से अलग पलायन आयोग पलायन आयोग की रिपोर्ट उत्तराखंड के हज़ारों गांवों के हालात के बारे में जो फैक्ट दे रही है, वो अपने आप में चौंकाने वाले हैं. जानिए क्या है पूरा मामला.
आयोग की रिपोर्ट क्या हैरान करती है ?
आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में उत्तराखंड के 1,700 गांव खण्डर हो चुके थे, और करीब एक हजार गांव ऐसे हैं, जहां 100 से कम लोग बचे हैं. कुल मिलाकर 3900 गांवों से पलायन हुआ है. सबसे ज़्यादा पलायन गढ़वाल के पौड़ी ज़िले और अल्मोड़ा ज़िले से हुआ है. आलम यह है कि पौड़ी में कई गांव तो जर्जर हो चुके हैं, कई मकानों में ताले लटके नज़र आते हैं. जहां कभी 150 परिवार हुआ करते थे, अब केवल 10-12 परिवार ही रहते हैं.
जबकि देखा जाय सबसे ज्यादा पूर्वमुख्यमंत्री मंत्री विधायक तो पौड़ी से ही है!
यह दिखाती है की कितने बुद्दिजीवी है ये मान्य जो अपने जनपद को सबसे बढ़िया और भरपूर हर्ष पुष्ट ना बना पाए और सबसे ज्यादा अमीर नेता भी पौड़ी के है
इस कदर देखा जाय तो पलायन का कारण क्या है?
यहाँ गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पलायन का सबसे बड़ा कारण बेरोज़गारी है! समय पर आने जाने के लिए बस की सर्विस नहीं है , स्वस्थ सुविधा नहीं है , जो स्कूल है उन स्कूलों में प्रयाप्त मास्टर नहीं है , लोगों को जब रोज़गार नहीं मिलता है, तो वो अपने गांव छोड़कर मैदानों की तरफ जाते रहे हैं. पलायन के मुद्दे का सीधे तौर पर बेरोज़गारी के साथ जुड़ जाना सियासी पार्टियों के बीच बयानों की रस्साकशी के लिए खासी खुराक बन गया है. चुनाव के समय में भाजपा इस पर सरकार का बचाव कर रही है तो कांग्रेस उसे घेरने की जुगत में है.
पलायन पर कांग्रेस एवं भाजपा
पलायन आयोग की रिपोर्ट के बरक्स मौजूदा सरकार का दावा है भाजपा सरकार में पलायन कम हुआ है. इतना ही नहीं, कोरोना काल में रिवर्स माइग्रेशन के चलते घर लौटे लोगों को भी सरकार रोकने में सफल रही. सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि 20% रिवर्स माइग्रेटटेड जनसंख्या को रोक लिया गया है. इधर, कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि केवल कांग्रेस सरकार ने ही रोज़गार के उपाय किए और भाजपा इस मोर्चे पर फेल रही.