लापता सरकारी सेवकों के आश्रितों को राज्य सरकार बड़ी राहत देने जा रही है। अब वे अपने स्वजन के लापता होने की तारीख से 12 वर्ष बाद तक अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसकी प्रति मुख्यालय के सभी विभागाध्यक्षों के अलावा प्रमंडलीय आयुक्तों को भी दी गई है। सरकार ने लापता सेवकों को नौकरी देने के मामले में यह बदलाव पटना हाई कोर्ट की सलाह पर किया है। यह प्रभावी भी हो गया है।
एक महिला की याचिका की वजह से आया बदलाव
पटना हाई कोर्ट में यह मामला एक महिला की ओर से लाया गया था। महिला के पति सरकारी सेवक थे। वे 2005 में लापता हो गए। लापता होने के आठ साल बाद महिला ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया। उनका आवेदन यह कह कर खारिज कर दिया गया कि देरी हो गई है। क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग के पहले का नियम था कि लापता सेवक के आश्रित पांच साल के भीतर आवेदन करें।
हाईकोर्ट ने सरकार के नियम पर जताई आपत्ति
हाई कोर्ट ने इस नियम पर आपत्ति की। कोर्ट का कहना था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 में किसी लापता व्यक्ति के कानूनी रूप से मृत घोषित करने की मियाद सात साल है। ऐसे में कोई आश्रित सात साल से पहले अपने स्वजन को मृत घोषित कर नौकरी का दावा कैसे कर सकता है।
सरकार ने अपने पुराने नियम में किया बदलाव
पटना हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इस मामले में होने वाली अनुकंपा आधारित नियुक्ति के नियम को बदल दिया है। अधिसूचना के मुताबिक किसी सरकारी सेवक के लापता होने के सात साल बाद या सक्षम प्राधिकार द्वारा उसे मृत घोषित करने के पांच साल बाद तक आश्रित नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है। नाबालिग आश्रितों को अलग से भी राहत दी गई है। सात साल या मृत घोषित करने की तिथि से पांच साल बाद भी आश्रित यदि बालिग नहीं है, तब भी उसे लाभ मिलेगा। शर्त यह रखी गई है कि बालिग होने के साल भर के भीतर वह नौकरी के लिए आवेदन करे।