Friday, September 20, 2024
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एससीईआरटी उत्तराखंड देहरादून में “नई शिक्षा नीति 2020 और 21वीं सदी के कौशलों के प्रशिक्षण” विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण हुआ आरम्भ।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में “21वीं सदी के कौशलों का प्रशिक्षण” विषय पर एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून में पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज आरम्भ हुआ। कार्यक्रम में प्रत्येक जिले से एक शिक्षक और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के अकादमिक सदस्यों सहित कुल 30 प्रतिभागी प्रशिक्षण लेंगे।

एससीईआरटी उत्तराखंड़ द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में 21वीं सदी के कौशलों का प्रशिक्षण” विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज से निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, राकेश कुमार कुँवर तथा अपर निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून, डॉ॰ आरडीशर्मा के संरक्षण में देहरादून में प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून की संयुक्त निदेशक, कंचन देवराड़ी ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। इस परिवर्तन के अनुरूप कक्षा शिक्षण और मूल्यांकन के साथ-साथ सीखने के कौशलों में भी बदलाव आया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि विश्वस्तर पर अचानक आए कोरोना संकट ने शिक्षण प्रशिक्षण और सीखने के नए तरीकों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंधित मुख्य बिन्दुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नीति के निर्माण में 25 लाख गाँवों/शहरों को 25 लाख हितधारकों से सुझाव प्राप्त किए गए थे।

इस अवसर उप निदेशक, हिमानी बिष्ट ने कहा कि वर्तमान समय में आये बदलावों के अनुसार जीवन कौशल तथा तकनीकी कौशल, कक्षा शिक्षण के महत्वपूर्ण अंग बन गए हैं। इन कौशलों का विकास होने से बच्चे जीवन की चुनौतियों का सामना सफलता से कर सकेंगे। मनोरमा बर्त्वाल, सहायक निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून ने कहा कि प्रौद्योगिकी युग में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लए नये युग के कौशलों को विकास बच्चों और शिक्षकों में किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उपनिषदों में यही बात विमर्श रूपणी विद्या के रूप में समझाई गयी है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ॰ राकेश गैरोला ने कहा कि प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचारों की समृद्ध परंपरा के लिए शिक्षा में नई सदी के कौशलों का विकास जरूरी है। उन्होंने 21वीं सदी के कौशलों के अंतर्गत सीखने के कौशल, साक्षरता कौशल, तर्कपूर्ण ढंग से सोचना, रचनात्मकता, सहयोग और अपनी बात को कुशलता से रखने के तरीकों पर बातचीत की। इस अवसर पर डॉ॰ रमेश पंत, डॉ॰ उमेश चमोला एवं अखिलेश डोभाल, प्रवक्ता, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के सुगम संचालन हेतु नितिन कुमार, प्रधान सहायक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून ने तकनीकी सहायोग दिया। इस कार्यक्रम में राज्य के  के हर जिले से एक शिक्षक और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के अकादमिक सदस्यों सहित कुल 30 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। पाँच दिवसीय प्रशिक्षण में अलग-अलग सत्रों में एससीईआरटी उत्तराखण्ड, देहरादून फैकल्टी के अलावा डॉ॰ राशि भटनागर, मनोवैज्ञानिक, डॉ॰ संजीव कुमार, सहायक निदेशक, उत्तराखण्उ प्रशासनिक अकादमी नेनीताल, अनुज्ञा पैन्यूली शिक्षक-प्रशिक्षक, निशा जोशी, विशेषज्ञ, रूम-टु-रीड, प्रो॰ कमाण्डर योगराज सिंह, मोटिवेशनल स्पीकर तथा प्रवीन गोस्वामी, जिला सेवायोजन अधिकारी, देहरादून द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए जाएंगे।

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