Friday, September 20, 2024
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मानसिक सक्षमता और शारीरिक संतुलन का अदभुत आसन जानिए इसके लाभ और योग विधि

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस आसन का नाम भक्त बालक ध्रुव के नाम पर रखा गया है इन्होंने इसी कठिन मुद्रा में खड़े होकर कठोर तपस्या की थी| इस आसन में साधक को उन्ही की तरह मुद्रा बनानी पड़ती है|

ध्रुवासन के लाभ :

  1. इस आसन के अभ्यास से शरीर का संतुलन बनाये रखा जा सकता है और शरीर से आलस्य को दूर किया जा सकता है|
  2. मानसिक रोग और मानसिक चंचलता की स्थिति में लाभ लिया जा सकता है|
  3. टांगो को मजबूती प्रदान की जा सकती है और घुटने के रोगों में भी आराम प्राप्त किया जा सकता है|
  4. उदासी, झल्लाहट की समस्या से बचा जा सकता है|
  5. शरीर को फुर्तीला बनाया जा सकता है साथ ही श्वास क्रिया भी नियंत्रित की जा सकती है और मन को स्थिर रखा जा सकता है|
  6. मूत्र और वीर्य सम्बन्धी रोगों को दूर करने में मदद मिलती है|
  7. इस आसन द्वारा शरीर को साधने की शक्ति मिलती है|
  8. इस आसन का नियमित अभ्यास करने से काम वासना को शांत किया जा सकता है|
  9. मसाने की कमजोरी कम की जा सकती है और पेशाब की उत्तेजना को भी शांत करने में मदद मिलती है|

ध्रुवासन की विधि :

सर्व प्रथम किसी स्वच्छ शांत औरसमतल भूमि पर सावधान अवस्था में खड़े हो जाएँ

दोनों पैरों पर समान वजन डालते अपने शरीर का संतुलन बनाये रखें|

अपने पैरों के बीच थोड़ी दूरी बना लें|

इसके बाद सावधानी पूर्वक अपनी दायीं टांग को घुटनें से मोड़ दें और पंजे को बायीं टांग के मूल स्थान से लगा दें|

अब साँस को खींच कर दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर नमस्कार की अवस्था में मिला लें|

अपनी नजर को नासिका के अग्र भाग पर रखें|

अपनी सांसों को सरलता से रोकने का प्रयास कर, जितना हो सके रोके रहें|

इसके बाद टांग को नीचे रखते हुए साँस को धीरे धीरे छोड़ दें|

इस विधि को टांग बदल कर बार बार दोहराते रहें|

ध्रुवासन में सावधानियां

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