RTI से हुआ खुलासा…
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत मांगी सूचना !
मांगी गई सूचना का विषय है उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी द्वारा प्रचार प्रसार के लिए विशेष कुछ अखबारों चैनलों को अधिसूचना से पहले 80 करोड़ के विज्ञापन की बंदरबांट करी
उत्तराखण्ड एक ऐसा छोटा राज्य है जहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है पर फंसता कोई नही है !
प्रकरण 1-
बात करे पूर्व मुख्यमंत्री TSR 1 के समय कोरोना काल के पीक समय मे जब शासन के अनुभागों मे गिने चुने अधिकारियों को ही बुलाया जाता था उस समय एक PCS को गढ़वाल से देहरादून मे ट्रांसफर कर दिया उस समय चर्चा यह रही की जिस ADM अधिकारी को 6 महीने पहले देहरादून से ट्रांसफर कर दिया उसको फिर देहरादून मे लाने का क्या औचित्य था वैसे वो PCS अधिकारी बिहारी था !
जब बात बड़ी तो इस प्रकरण मे TSR 1 ने भरी कैबिनेट मे उस अधिकारी की विजिलेंस जांच करने को कहा पर विजिलेंस को लिखित जांच का आदेश नही दिया !
हमारे उत्तराखण्ड मे केवल खंडूरी जी के समय मे ही विजिलेंस का बोलबाला रहा है !
उस वक्त कभी – कभी एक दिन मे दो -दो ट्रैप हो जाते थे ! और महीने मे खंडूरी जी विजिलेंस के साथ 2-3 मीटिंग करके भ्रष्टाचार पर नकेल कसने को विजिलेंस को कसते थे !
हद तो तब हो गई जब TSR 1 के कार्यकाल मे विजिलेंस के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री ने एक भी मीटिंग नही करी
प्रकरण 2-
2018 से 2021 तक जेल मे बंद रहा टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति मृत्युंजय मिश्र
की विजिलेंस की जाँच हुई जाँच शासन को गई शासन की लचीली कार्यवाही से आज टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति मृत्युंजय मिश्र जेल से बरी हो गए है !