मंशा वाचक कर्मणा से अभिभूत हो कर लिया गया निर्णय सही लगता है
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक पत्र सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि मुझे किसी भी विधानसभा से चुनाव ना लड़ाया जाए और मैं पार्टी के लिए काम करूंगा। आपको बता दें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्तमान में डोईवाला विधानसभा के विधायक हैं।
वैसे डोईवाला विधानसभा की और उत्तराखण्ड राज्य की हवाओं को भाप जाना भी त्रिवेंद्र सिहं रावत को आता है !
क्यों की 2017 से अगर दूर दोबारा 2022 को देखते तो आज चुनाव लड़ते !
मै ऐसे कही कट्टर मोदी प्रशंसकों जनता हूँ जो इस बार शायद प्रदेश भक्त ना बन पाए
मै कई बार उत्तराखण्ड आने वाले केंद्रीय नेताओं प्रधानमंत्री जी की ट्विटर पोस्ट करता था की क्या आप जनता की आँख मे आँख डाल कर अपने भाषणों मे यह कह सकते है की 2017 से प्रदेश सरकार ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से अच्छा विकास किया !
उत्तराखण्ड मे रुष्ट कुनबा
सरकारी कर्मचारी
सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारी
शिक्षा विभाग
खनन विभाग
शराब व्यवसाई
व्यापारीगण
देहरादून शहर की गंदगी
पुलिस विभाग का ACP का मसला
2017 से मे बात करूं उत्तराखण्ड मे जो माल (बजरी ,रेत ,पत्थर) वो अन्य प्रदेश हिमांचल ,उत्तर प्रदेश से आ रहा था !
कारण त्रिवेंद्र सिह रावत और उनके चर्चित पी सी एस अधिकारी खनन निदेशक द्वारा खनन नीति 2015 की बदल कर 2017 की ऐसी करी की खनन भंडारण को ही भूखा मार दिया
खनन भंडारण का काम बरसातों मे क्रेशरों को कच्चा माल देना होता है जिससे वो पठारों को क्रैश कर रोड़ी तैयार कर के शहर मे सप्लायरों ,ठेकेदारों को देते है जबकि क्रेशरों का खुद का भंडारण होता है वो भी कच्चे माल पत्थर के लिए नही तैयार क्रैश किया हुआ रोड़ी के लिए !
वही बात हो गई गंजे को कंगा पकड़ने का काम खनन भंडारण वालों के लिए
रनीपोखरी के पुल का टूट जाना उसके पील्लरो के नीचे नदी ने भंवर तभी तो बनाया होगा जब वहां मिट्टी नही मिली होगी ?
शराब की पूरी दुकानों का ना उठ पाना यह भी बहुत बड़ा राजस्व घाटा करा सरकार ने
नीति और टारगेट वो फिक्स किए की ठेकेदारों ने दुकान लेने से मना कर दिया
अब जिसका बाजा उसको साजा
नगर निगम के मीयर भी नगर की चिंता ना कर केवल हर जगह मुख्यमंत्री जी के साथ फोटो सेशन मे ही नगर निगम चलाना
जब की दोनो चाहते तो हर बूथ को पैसा दे कर काम करवाते पर अब काम तब होने लगा जब धामी जी अंतिम चुनावी महीनों मे मुख्यमंत्री बने यह मै नही भाजपा समर्थक पार्षद का कहना है !
स्वास्थ की बात करे आयुष्मान गोल्डन कार्ड से बुजुर्ग सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों का उपचार अपने आप मे आज भी बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे है
पहले कर्मचारी अपना इलाज करता था तो दवाइयों के पैसे तो 100% मिलते थे पर इस सुविधा मे दवाइयों के पैसे 100% देने है !
इस सुविधा मे इलाज भी केवल कार्डियो के अब आंखों का भी है
अब बीमारी कोई त्रिवेंद्र सिह रावत को पूछ के तो आएगी नही
जिसके घुटने खराब हो गए वो क्या करेगा
पेंशनरों को कभी कभी फोन मे मैसेज आ जाता है की आप की पेंशन आप के बैक मे डाल दी है जब पेंशनर ATM मे जाएगा तो वो त्रिवेंद्र सरकार को बहुत कौसेगा मैने यह भी पता करा की ये क्यों हुआ तो पता चला सरकार का ट्रेजरी को बजट आते -आते रुक गया सरकार के पास पैसा ही नही है खैर केंद्र से कर्ज लेकर कर्मचारियों पेंशनरों की दिक्कत तो पूरी हुई !
पुलिस कर्मचारियोके परिवार को अपने हक के लिए सड़को पर कूदना पड़ा !
जिसकी भरपाई समय कर देनी चाहिए थी जिसके वो हकदार है
क्या पुलिस कर्मचारी /परिवार इस सरकार को वोट करेंगे
एक कहावत उत्तराखण्ड की गलियों मे थी की मोदी जी के नाम से अंधे लूले को भी खड़ा kआर दिया जाए जो जीतेगा तो आज त्रिवेंद्र सिह रावत ने उत्तराखण्ड भाजपा को कहाँ खड़ा कर छोड़ दिया
वैसे बाबा केदारनाथ कैसे माफ करेंगे यह अंदेशा तो हम पहले ही लगा रहे थे ब्राह्मण का त्रीस्कार
वो महिला उतरा बहुगुणा का मामला भी जगजाहिर है
त्रिवेंद सिह रावत की पत्नी ने अपनी पूरी नौकरी अपने घर के पास दीप नगर प्राथमिक विध्यालय मे कर रही है
राज्य समाप्ति की गाड़ी से विध्यालय आ जा रही थी !
और पीड़ित अपने पति के स्वास्थ्य का हवाला देने वाली महिला के साथ व्यवहार का बीडीओ भी googal पर सर्च कर देखा जा सकता है !
राम नाम जपना पराया माल अपना