टाटा ग्रुप के आज के सर्बोच्च आदर्श पुरुष रतन टाटा को आज भारत का बच्चा बच्चा जानता है
और उनके देश निर्माण में किए जारहे अमूल्य योगदानों की चर्चा भी यदाकदा समाचारों में आती रहती है.
टाटा परिवार देश निर्माण में हमेसा चर्चा में रहा है और वह केवल उद्योगपति के ही रूप में नहीं बल्कि उनके अधिकांश कार्य शुद्ध भारत देस्ग के निर्माण और हित में अधिक रहे हैं !
चित्र जमशेदजी टाटा की पुत्रबधु दोरावजी टाटा की पत्नी का है !
इनके गले में लटकने वाली माला पेंडुल एक बेसकीमती हीरे का है. 1924में बिश्वयुद्ध के कारण उद्योगधंधों में बहुत बड़ी मंडी आई और अनेक उद्योग बंद हो गए. ऐसी स्थिति में टाटा आयरन स्टील भी बंदी के कगार पर आगया और हजारो कामगार बेरोजगारी की कगार पर खड़े हो गए. जमशेदजी बहुत चिंता में थे. ऐसे समय में बहु आगे आई और वह बेशकीमती हीरा इम्पीरियल बैंक में गिरवी रखदिया गया जिसके एवज मेबैंक ने मंदी ख़त्म होने तक कामगारों के बेतन के भुगतान के लिएपूरी आर्थिक सहायता की और हजारों कामगारों के परिवार आर्थिक कठिनाई से बच गए. बाद में टाटा परिवार ने यही हीरा बड़ी कीमत में बेचा और देश के मशहूर प्रथम कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की जिसमे देश ही नहीं बिदेशों से भी लोग आकर स्वास्थ्य लाभ की सुबिधा उठाते हैं. टाटा ग्रुप केबर्तमान श्रेष्ट रतन टाटा ने इस संस्थान कोऔर भी अधिक मजबूती दी और आज यह प्रतिष्ठान पूरे बिश्व में अग्रणी है.