मनुष्य का स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत है उत्तम स्वास्थ्य हर काम मे विश्वास। साधारणतया तन में सर्वाधिक कार्य घड़ की अपेक्षा सिर को करने पड़ते है इसे में रीढ़ की हड्डी से लेकर गर्दन सभी एक अच्छा खासा योगदान देते है। फिर तो तय है सिर गर्दन में दर्द ढेरो समस्याएं। पर सिर व गर्दन के दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए सूक्ष्मक्रियाये कर आप शांति पा सकते हैं
गर्दन संबंधी क्रियाएँ
गर्दन प्रमुख अवयव है। गर्दन के बारे में सावधानी बरतना आवश्यक है। आज-कल शहरों में मुख्य रूप से स्पांडलाइटिस जैसी गर्दन संबंधी व्याधियां बढ़ रही हैं। ठीक तरह से न बैठने, गर्दन झुका कर लिखने, गर्दन झुका कर काम करने तथा कार्यों के दबाव आदि के कारण गर्दन संबंधी व्याधियाँ होती हैं। ऐसी व्याधियों के निवारण के लिए निम्न क्रियाएँ उपयोगी हैं। बड़ी सरलता से ये क्रियाएँ की जा सकती हैं।
ग्रीवा गर्दन क्रिया योग के लाभ
कम्प्यूटर मोबाइल चलाने वालों के लिए ये उत्तम व्यायाम क्रिया है
सिर झुका कर काम करने वालों के लिए ये क्रियाएं अति उपयोगी हैं।
दिन भर काम करने के बाद शाम को ये क्रियाएं करें, तो गर्दन संबंधी व्याधियाँ दूर होंगी|
स्पांडलाइटिस जैसी व्याधि से छुटकारा मिलेगा।
गर्दन सुडौल बनेगी
गर्दन की व्यर्थ चरबी कम होगी |
ग्रीवा गर्दन क्रिया योग विधि
साधारणतया बैठकर (सुखासन में) या विशेष परिस्थितियों में खड़े रहकर भी ये क्रियाए की जा सकती है ।
प्रथम क्रिया
रीढ़ की हड़ी और सिर को सीधा रखें।धीरे-धीरे सिर को दायीं एवं बायीं ओर घुमा कर पीछे की तरफ देखें। सिर को एक तरफ घुमाते हुए सांस बाहर छोडें| सांस लेते हुए सिर को मध्य में लावें |
द्वितीय क्रिया
पूर्व स्थिति में ही रहकर सांस छोड़ते हुए सिर को नीचे झुकावें। सांस लेते हुए सिर को ऊपर उठावें।
तृतीय क्रिया
रीढ़ को स्थिर साँस छोड़ते हुए सिर को दायीं ओर झुकावें। साँस लेते हुए सिर को बीच में ले आवें। इसी प्रकार बायीं ओर भी करें।
चतुर्थ क्रिया
दायीं हथेली से दायें गाल को दबाते हुए सिर को दायीं ओर साँस छोड़ते हुए घुमावें। साँस लेते हुए सिर को बीच में ले आवें। इसी प्रकार बायीं हथेली से बायें गाल को दबाते हुए करें।
पंचम क्रिया
सॉस रोक कर दोनों हथेलियों से ठोड़ी को दबावें। कुछ देर दबा कर फिर छोड़ दे कुछ पल बाद इसे पुनः दोहरावे
षष्ठम क्रिया
सॉस रोक कर दोनों हथेलियों से दोनों गालों को दबावें |कुछ देर दबा कर फिर छोड़ दे कुछ पल बाद इसे पुनः दोहरावे
सप्तम क्रिया
सॉस रोक कर हथेलियों से दोनों कपोलों को दबावें।कुछ देर दबा कर फिर छोड़ दे कुछ पल बाद इसे पुनः दोहरावे
अष्ठम क्रिया
दायीं हथेली से माथे को दबाते हुए, सिर को गोलाकार में घुमावें।एक चक्र बाद कुछ क्षण रुक कर विपरीत दिशा में घुमाये
नवम क्रिया
सिर को थोड़ा झुका कर दायीं ओर से उसे गोलाकार में घुमावें। इसी तरह बायीं ओर से भी घुमावें। यह क्रिया दायीं ओर से बायीं ओर और बायीं ओर से दायीं और बारी-बारी से लगातार करते रहें।
दशम क्रिया
सॉस रोके। दोनों हथेलियों से सिर के पीछे तथा गर्दन को दबावें।
एकादश क्रिया
दोनों हथेलियाँ रगड़े। उनसे गर्दन एवं गले की धीरे-धीरे मालिश करें
विशेष
इन क्रियाओं को करते समय कंधे न हिलें और एक-एक क्रिया को 5 से 6 बार करें।
द्वादश क्रिया
ग्रीवा व गले की नसों से संबंधित क्रियाएं
1 मुँह बंद कर लें, ठुड्डी में दायीं तथा बायीं ओर खिंचाव पैदा कर गले की नसों को फुलावें | 10 सेकंड तक उन्हें वैसे ही रोक कर रखें | बाद उन्हें ढीला करें | 5 या 6 बार यह क्रिया करें।
2 गले की नसों को फुला कर 10 से 30 सेकंड तक जल्दी-जल्दी सांस लेते रहें और छोड़ते रहें।
3 उपर्युक्त दो क्रियाएँ करने के बाद हथेलियाँ गले पर फेरें। इससे गले की नसों को आराम मिलेगा |
ग्रीवा व गले की क्रिया योग के लाभ
गले की नसों को शक्ति मिलेगी।
कंठस्वर स्पष्ट और मधुर बनेगा।
सांस लेने और भोजन करने में सरलता होगी |
गले पर की व्यर्थ चर्बी कम होगी |
भारत माता की जय
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः