अपने बच्चे को गुजाराभत्ता देने के एक मामले में अदालत ने निर्देश दिए हैं कि प्रतिवादी पिता को अपने गोद लिए बच्चे को भी गुजाराभत्ता देना होगा। जबकि प्रतिवादी का कहना था कि यह बच्चा पत्नी की इच्छा से गोद लिया गया था इसलिए वह गुजाराभत्ता नहीं देगा। परंतु अदालत ने कहा कि यह पिता का दायित्व है कि वह पत्नी के साथ बच्चे के गुजाराभत्ते का भुगतान भी करे।
कड़कड़डूमा अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी की उस चुनौती याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि बच्चे को पत्नी ने गोद लिया था। इसलिए अब उसके लालन-पालन की जिम्मेदारी पत्नी पर ही डाली जानी चाहिए। जबकि, अदालत ने कहा कि वादी पत्नी की तरफ से अदालत के समक्ष गोदनामा पेश किया गया था जिसमें पति-पत्नी दोनों के हस्ताक्षर थे।
इससे साफ है कि बच्चे को गोद लेने में दोनों की सहमति थी। अब क्योंकि दोनों ने सहमति से यह करार किया था तो बच्चे के लालन-पालन की जिम्मेदारी दोनों की बनती है। यहां पत्नी गृहणी है उसकी कोई मासिक आय नहीं है। यहां तक की पत्नी का गुजाराभत्ता भी प्रतिवादी पति ही अदा करता है। ऐसे में बच्चे का खर्च भी पिता ही उठाएगा।
अदालत ने पति को कहा है कि वह बच्चे के खर्च के तौर पर प्रतिमाह दस हजार रुपये अतिरिक्त पत्नी को भुगतान करे। पेश मामले में दंपति पिछले तीन साल से अलग रह रहे हैं। चार साल पहले छह महीने के बच्चे को इन्होंने गोद लिया था। इस बीच दंपति के आपसी संबंध खराब हो गए।
पत्नी ने बच्चे के साथ अलग रहने का निर्णय किया। मामला अदालत पहुंचा। अदालत ने पत्नी व बच्चे का गुजाराभत्ता तय कर दिया। लेकिन पति को बच्चे का गुजाराभत्ता देने पर आपत्ति थी। अब अदालत ने गुजाराभत्ता देने के निर्देश दिए हैं।