रोटी
सबसे स्वादिष्ट रोटी माँ की ममता और वात्सल्य से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।
दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और समर्पण भाव होता है जिससे पेट और मन दोनों भर जाते हैं।
तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ कर्तव्य का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है।
चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का पेट भरता है न ही मन तृप्त होता है और स्वाद की तो कोई गारँटी ही नहीं है।
इसलिए माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।
यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, और सोचो कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं..!!