Saturday, April 27, 2024
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जानिए क्या होता है Death Statement और क्यों जरूरी साक्ष्य माना जाता रहा है

मरणासन्न कथन की परिभाषा

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-32(1) में मृत्यु कालीन कथन को स्पष्ट किया गया है। जो इस प्रकार है-

मृत्यु कालीन कथन या घोषणा से आषय ऐसा कथन है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण या उस व्यवहार की परिस्थितियों के बारे में बताता है, जिसके परिणाम स्वरूप उसकी मृत्यु हुई है।

मृत्यु कालीन घोषणा का स्वरूप

यह मौखिक या लिखित या आधा लिखित आधा मौखिक या इषारों के रूप में भी हो सकता है इसका कोई निश्चित स्वरूप नही है।

मृत्यु कालीन कथन कौन ले सकता है

मृत्यु कालीन कथन लेने के सम्बंध में भी कोई निर्धारित मापदंड नहीं है। कोई भी व्यक्ति मृत्यु के समय अपनी मृत्यु की परिस्थिति एवं कारणो को किसी भी उपस्थिति व्यक्तिय के सामने प्रकट कर सकता है। फिर भी विभिन्न न्याय दृष्टांतों के अनुसार माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह माना है कि

  1. मजिस्ट्रेट
  2. डाॅक्टर
  3. कोई भी सभ्रांत व्यक्ति
  4. पुलिस अधिकारी
  5. अस्पताल के कर्मचारी
  6. या किसी भी अन्य उपस्थिति के समक्ष मृत्यु कालीन कथन किए जा सकते है। मृत्यु कालीन घोषणा के लिए किसी शपथ की आवष्यकता नही होती है। मृत्यु कालीन कथन के सम्बंध में विधि यह मानती है कि मृत्यु के निकट व्यक्ति की हमेषा सत्य ही बोलता है। यह प्रष्न उत्तर के रूप में लिखे जाते है।

मृत्यु कालीन घोषणा का साक्षिक मूल्य

मृत्यु कालीन कथन उस समय सुसंगत माना जाता है जबकि उनको किसी व्यक्ति ने अपनी मृत्यु से पहले किया हो। यदि किसी व्यक्ति ने यह घोषणा उस समय की हो जब वह मरणासन्न स्थिति में किन्तु बाद में उसकी मृत्यु का कारण ना रही हो और वह दूसरे कारण से मरता है तो उसका वह कथन इस धारा के अधीन मान्य नही किया जा सकता । यह धारा मृत्यु के असली कारण या संव्यवहार की और संकेत करती है जिसके फल स्वरूप मृत्यु हुई हो।

सत्यतापूर्ण और विष्वसनीय मृत्यु कालीन कथन सम्पुष्टि के बिना भी दोषी साबित करने का एक मात्र आधार बन सकता है। किन्तु न्यायालय का यह समाधान हो जाना चाहिए की कथन सत्यतापूर्ण तथा विष्वसनीय है।

मृत्यु कालीन कथन कैसे सिध्द किए जा सकते है ?

मृत्यु कालीन कथन धारा 32 (1) के अधीन स्वीकार किए जाते है। यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा या डाॅक्टर या पुलिस अधिकारी द्वारा लिखे जाने की दषा में सम्बंधित व्यक्तियों के साक्ष्य से सिध्द किए जा सकते है। यदि मृत्यु कालीन कथन मौखिक रूप से हे तो ऐसी दषा में यह उस व्यक्ति के साक्ष्य द्वारा सिध्द किए जाऐंगे । जिनके समक्ष मृत व्यक्ति ने उन्हे कहा था।

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