इस ट्रैकिंग दल में 25 ट्रैकर्स शामिल हुए। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा पर्यटन विभाग के माध्यम से संचालित ‘‘दीनदयाल मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना’’ के तहत जनपद चमोली से 30 बुजुर्ग तीर्थयात्रियों का जत्था श्री बद्रीनाथ दर्शन के लिए रवाना किया गया। विश्व पर्यटन दिवस पर शिक्षण संस्थाओं में भी बाद विवाद, निबंध, चित्रकला एवं स्लोगन प्रतियोगिताएं आयोजित कर पर्यटन के महत्व को उजागर किया गया।
विश्व पर्यटन दिवस पर जिला पर्यटन विकास अधिकारी एसएस राणा ने कहा कि चमोली जनपद का प्राकृतिक सौन्दर्य सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहॉ पर साहसिक ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, रिवर राफ्टिग, पैराग्लाइडिंग आदि साहसिक गतिविधियों की भरपूर संभावनाएं है। यहां के मठ मंदिर देश व दुनिया के करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र है। धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर होम स्टे एवं पर्यटन सुविधाओं को और अधिक विकसित किया जा रहा है।
दुनिया भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने और पर्यटन को बढावा देने के लिए इस वर्ष विश्व पर्यटन दिवस पर्यटन और हरित निवेश की थीम के साथ मनाया गया। उत्तराखण्ड राज्य का सीमान्त जनपद चमोली प्राकृतिक व नैसर्गिक सुन्दरता के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में अपना एक अलग ही स्थान रखता है। अष्टम बैकुण्ड के रूप में प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के पास स्थित ग्राम माणा, तिब्बती सभ्यता को समेटे हुए सीमान्त गांव नीति, प्रसिद्ध रूपकुण्ड ट्रैक के बेस कैम्प के रूप में वाण जैसे अनगिनत गांव वर्षो से पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करते रहे है। यहां पर संचालित होम स्टे पर्यटको को न केवल आवासित करते है, वरन ग्रामीण जीवन शैली, पहनावा, भेष-भूषा व पहाड़ी व्यंजनों से भी पर्यटको को रूबरू करा रहे है।