बेरोजगारी बहुत है
मेमसाहब : हेलो हेलो ! नल की टोंटी लीक कर रही है प्लम्बर भैया इसे बदल दो आकर प्लीज।
प्लम्बर : जी मेम ठीक है पर अभी समय नहीं है परसों बदल जाऊंगा।
परसों। मेमसाहब : भैया तुम आये नहीं आज टोंटी बदलने को कहा था तुमने।
प्लम्बर : मेम आ रहा हूँ शाम तक आपका काम हो जाएगा।
शाम को प्लम्बर : मेम, आज नहीं आ पा रहा कल अवश्य आऊंगा।
कल। प्लम्बर : ये लो मेम हो गया आपका काम।
मेमसाहब : ठीक है भैया। थैंक्स। कितने देने हैं।
प्लम्बर: 280 की टोंटी, 20 का टेप, 300, और लेबर के 400 रुपये। टोटल 700 दीजिये मेम।
मेमसाहब : अरे भैया, 700 तो बहुत ज्यादा हैं। और आधे घंटे के 400 रु लेबर कुछ ज्यादा नहीं लगा रहे आप?
प्लम्बर : नहीं मेम दूसरी जगह चलता काम छोड़ कर आया हूँ। घिस घिस मत करो 700 निकालो जल्दी। दूसरी जगह जाना है। पहले पूछ लिया करो। आदमी हैं नहीं, अकेला काम करना पड़ता है।
मेमसाहब* : ठीक है ये लो भैया। पर तुम्हारे रेट बहुत ज्यादा हैं।
प्लम्बर : अरे मेम आपको क्या पता मरने की फुरसत नहीं है। नमस्ते।
आपने देखा, एक प्लम्बर का किस्सा।
आदमी हैं नहीं और बेरोजगारी बहुत है, समझे!!!
अब और देखिए-
ज्योति : आंटी कल से बहु और बच्चे की मालिश के 300 रु घंटा लुंगी।
आंटी : क्यों ज्योति, अभी तक तो 200 लेती है।
ज्योति : आंटी, फुरसत नहीं है दो घर और भी जाना पड़ेगा कल से।
आंटी : तो दो घर जाने से रुपये बढ़ाने का क्या मतलब है? बल्कि तुझे तो 200 के हिसाब से और 400 मिलेंगे।
ज्योति : देख लो आंटी उन से भी 300 के हिसाब से तय हुए हैं।
आपको करानी है तो ठीक नहीं तो कल 1 तारीख है मैं नहीं आऊंगी। किसी और से करा लेना।
आंटी: अरे अब बीच में किसे ढूंढूंगी? तू ही आ जो कहेगी देंगे।
ज्योति: ठीक है। अब तक का हिसाब कर दो। कल से नया 300 के हिसाब से चालू हो जाएगा।
दुखी मन से आंटी : “ये ले 4 दिनके बाकी 800। कल टाइम से आना:।
आपने देखा एक घंटे के 300। पांच जगह भी गयी तो 1500।
मतलब 1500×25 दिन = 37,500रु. महीना।
बेरोजगारी बहुत है।
पर है कहाँ ये बेरोजगारी?
अब आप ही बताइये बेरोजगारी कहाँ है?
मुझे दो स्टाफ चाहिए आफिस के लिए।
अरोरा जी को एक लड़का चाहिए दुकान के लिए।
गुप्ताजी को बाई चाहिए। मधु भाभी को झाड़ू पोंछे वाली चाहिए।
विकास को एक कारपेंटर चाहिए। प्रमोद को स्टील का गेट बनवाना है।
शर्मा को टाइल लगवानी हैं दुकान पर!!!
क्या करें – कहाँ जाएं 2, 3 महीने से सब लोग ढूंढ रहे हैं आदमी।
पर सुनने में आता है, बेरोजगारी बहुत है।
भैया किधर है ये? कौन है बेरोजगार? हमें दिखाओ तो।
हाँ मैं दिखाता हूँ। देखिए।
आओ मोहन, दुकान पर काम करोगे?
मोहन : जी करूंगा बाबू जी।
बाबूजी : तो आओ कल से सुबह 9 बजे।
मोहन: न बाबूजी सुबह 9 नहीं साढ़े दस तक आ पाऊंगा।
बाबूजी : ठीक है, मैं खोल लूंगा दुकान तुम साढ़े दस आओ।
मोहन : बाबूजी, पगार कितनी दोगे?
बाबूजी : अरे पहले जो लड़का था उसे 9000 देता था। वही दे दूंगा। या जो तू कहेगा।
मोहन : बाबूजी रुपये लूंगा 15 हजार।
बाबू जी : क्यों कहीं और मिल रहे हैं क्या?
मोहन : नहीं अभी तो कोई नहीं पर ढूंढ लूंगा।
बाबूजी : लेकिन तुमने तो अभी बताया 4 महीने से घर बैठे हो कोई नौकरी नहीं मिली।
मोहन : हाँ बाबूजी। पर 8-9 हजार में आज होता क्या है? इसलिए काम जोड़ा नहीं अभी तक।
देखूंगा जब अच्छी पगार वाली मिलेगी तब करूंगा नौकरी।
समझ गए आप
बेरोजगारी कहाँ है?
9 की करनी नहीं 15 की मिल नहीं रही।
सरकार है न
राशन फ्री
बिजली पानी फ्री
खाने के लिए छेत्तर बहुत हैं
इलाज फ्री
कन्या विवाह के लिए राशि
बच्चा पैदा हो तो राशि। आदि आदि।