Thursday, September 19, 2024
uttarakhandekta
Homeउत्तराखंडकेदारनाथ यात्रा मार्ग में 951 घोड़े- खच्चर ब्लॉक, 3315 का परीक्षण, 1086...

केदारनाथ यात्रा मार्ग में 951 घोड़े- खच्चर ब्लॉक, 3315 का परीक्षण, 1086 का ईलाज

कोटमा में 200 घोड़े- खच्चरों के लिए बनेगा आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल

यात्रा मार्ग में 24 घंटे गर्म पानी की आपूर्ति के लिए बनेगी 04 नए चरियां

श्री केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग में संचालित घोड़े- खच्चरों के संचालन एवं संचालकों पर प्रशासन की पैनी नजर है। घोड़े- खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संचालन के लिए निर्धारित नियम एवं मानकों का पालन नहीं करने वाले 951 घोड़े- खच्चरों को पिछले 32 दिन में ब्लॉक किया गया है। जबकि 3315 घोड़े- खच्चरों का स्वास्थ परीक्षण किया गया है। साथ ही 1086 घोड़े- खच्चरों को इलाज दिया गया है। जबकि 93 घोड़े अनफिट पाए जाने पर यात्रा संचालन से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा नियमों के उल्लंघन पर अब तक 06 घोड़े- खच्चर संचालकों पर मुकदमा भी किया जा चुका है।

   श्री केदारनाथ धाम यात्रा के सफल एवं सुगम संचालन में घोड़े-खच्चरों भूमिका अहम है। देश- विदेश से यात्रा पर आने वाले कई श्रद्धालु जो धाम के कठिन पैदल यात्रा मार्ग पर चलने में अक्षम है। उनकी यात्रा संपन्न कराने में घोड़े- खच्चर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ इन बेजुबान जानवरों के संरक्षण एवं सुविधाओं का जिम्मा भी जिला प्रशासन के पास है। ऐसे में घोड़े खच्चर संचालन एवं संचालकों के लिए शासन के आदेशों के क्रम में सख्त एसओपी तैयार की गई है जिसका अनुपालन करवाने के लिए पशुपालन विभाग सहित प्रशासन की पूरी मशीनरी हर दिन 24 घंटे कार्य कर रही है। शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में इस वर्ष करीब 8300 घोड़े-खच्चर ही पंजीकृत किए गए हैं। घोड़ा-खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रोटेशन के आधार पर एक दिन में 4000 घोड़े- खच्चर ही यात्रा मार्ग पर संचालित किए जा रहे हैं। हर घोड़े को एक दिन का आराम मिलने के बाद दूसरे दिन संचालन की अनुमति है। इसके अलावा निर्माण सामाग्री,  ट्रांसपोर्ट के लिए करीब 1000 घोड़े- खच्चर पंजीकृत हैं। जबकि यात्रा मार्ग में सोन प्रयाग गौरीकुंड, लिंचोली, रुद्रा पॉइंट पर चार अस्पताल संचालित हैं जिनमें 07 डॉक्टर्स एवं 57 पैरा वेट एवं दो पशुधन प्रसार अधिकारी। वहीं प्रसिद्ध ब्रूक्स इंडिया फाउंडेशन के 02 डॉक्टर एवं 03 पैरा वेट स्टाफ अपनी भी सेवाएं दे रहे हैं। 

30 टन प्रतिदिन लीद निस्तारण हेतु सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

घोड़ा- खच्चर संचालक को व्यवस्थित करने के लिए इस वर्ष जिला प्रशासन ने कई नए कदम भी उठाए हैं। यात्रा मार्ग पर घोड़े- खच्चरों की लीद से निजात दिलाने के लिए त्रिजुगी नारायण मार्ग पर निर्माणाधीन 30 टन प्रतिदिन शोधन की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जून के तीसरे हफ्ते में संचालित होना शुरू हो जाएगा। वहीं अवैध रूप से घोड़े- खच्चर संचालन पर रोक लगाने के लिए तीन चरण में उनकी पहचान सुनिश्चित की जा रही है। पहले चरण में बीमा के दौरान कान में एयर टैग लगाया जा रहा है, दूसरे चरण में हर घोड़े को एक आरएफ आईडी जारी की जाती है वहीं इस वर्ष छोटा सा लो फ्रीक्वेंसी इंफ्रारेड डिवाइस घोड़ों मे इंजेक्ट किया जा रहा है। जिसके माध्यम से हर पशु की पहचान तो हो ही रही है जबकि उसकी पूरी ट्रैकिंग भी की जा रही है।

हर दो महीने में लेना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े- खच्चर ही संचालित हो इसकी तैयारी यात्रा शुरू होने से पूर्व ही विभाग ने कर ली थी। विभिन्न गांव एवं कस्बों में जाकर घोड़े- खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया जिसके आधार पर डॉक्टर्स द्वारा जारी फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर ही यात्रा के लिए पंजीकरण किया गया है। यही कारण है कि इस वर्ष बेहद फिट घोड़े ही यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। यह फिटनेस सर्टिफिकेट मात्र दो महीने के लिए मान्य होगा, दो महीने बाद दोबारा परीक्षण करवा कर फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments