गरीब मातादीन के पास गांव में दो बीघा जमीन का एक छोटासा टुकड़ा था जिसके एक और उसकी झोपड़ी और दूसरी किनारे एक पीपल का पेड़ था जिसके नीचे हनुमान जी का एक छोटा सा मंदिर था . मातादीन नित्य प्रातः हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमान जी की पूजा अर्चना करता और फिर दिनभर अपनेखेत में काम करता. मातादीन एकअकेला इंसान था जिसका ना कोई परिवार और ना कोई पारिवारिक सदस्य.था. गांव के कुछ लोगों का कहना था की उसकी पत्नी किसी महामारी की चपेट में आकर दुनिया से चल बसी थी.और मातादीन तबसे कुछ बिक्षिप्त जैसा हो गया था. उस ऊसर जमीन के टुकड़े से मातादीन को कुछ दाने ज्वार बाजरे के मिलजाते जिनपर निर्वाह करके किसीतरह पेट की आग बुझाता. मातादीन कीबिक्षिप्ता का लाभ उठाकर गांव के कुछ दबंग उसकी जमीन पर कब्जा करने की फिराक में रहते और उसको सलाह देते कि क्या करेगा इस सूखी जमीन के टुकड़े को रखकर लेकिन मातादीन को अपनी जमीन से अत्यंत लगाव था और उससे भी ज्यादा लगाव उसको पीपल के पेड़ के नीच रखी हनुमान जी की मूर्ति से था कि मेरे ना रहने पर हनुमान जी की पूजा अर्चना कौन करेगा. —–भुखमरी की कगार पर मातादीन को पेट की आग एक दिन शहर की और खींच ले गई और वह हनुमान जी को प्रणाम करके सबकुछ छोड़छाड़कर शहर को चला गया और मेहनत मजदूरी करके गुजर करने लगा. दो साल बाद मातादीन को फिर अपने गांव की याद्द आई और वह गांव को आया. अपने जमीनके टुकड़े और झोपड़ी की और गया तो ना वहाँ झोपड़ी ना पीपल का पेड़ और ना हनुमान जी का छोटा मंदिर.
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उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हुनुमान जी के मंदिर के स्थान पर मजार बनी देखी. उसने गांव के मुखिया और पंचों से सहायता माँगी लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिल पाई—–मातादीन इस सदमे से और भी घोर बिक्षिप्त हो गया और जाकर मजार को तोड़ने लगा तो कुछ धर्मावलम्बियों ने मातादीन की पिटाई करदी.——ऐसे में गांव के बाहर झोपड़ी में रहरहै एक सन्यासी मातादीन को सांत्वना देते हुए उसे अपने साथ एक वकील के पास ले गया जिसने मातादीन का केस मुफ्त और अपने ब्यय परलड़ने को कहा.——–अब अदालत की लम्बी कहानी का आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं. सारे सबूत मातादीन के बिपरीत जारहे थे और इतना ही नहीं मातादीन को गांव में साम्प्रदाइक सौहार्द बिगाड़ने का दोषी करार दिया गया.———-अदालत ने फैसले का दिन निर्धारित किया और जब अदालत फैसला सुनाने लगी तो मातादीन अदालत से अनुपस्थित था ——-जज ने मातादीन के वकील से पूछा कि आपका मुसतकिस कहाँ है——–तो वकील ने कहा मीलॉर्ड वह सर्बोच्च अदालत यमराज के यहां गया है —–सजा सुनने को मैं प्रस्तुत हूँ———-