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चक्कीचलनासन जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है चक्की= आटे को पीसने की एक मशीन + चलाना+ आसन अर्थात इस आसन में भारतीय गावों में पाए जाने वाली, हाथों से चलाने वाली अनाज की चक्की को चलाने की नक़ल की जाती है। यह एक बहुत अच्छा व आनंदायक व्यायाम है।
चक्कीचालनासन के लाभ
इस आसन से महिलाओं की गर्भाशय की मांसपेशियों को पर्याप्त व्यायाम मिलता है
इसके निरंतर अभ्यास से पीड़ादायक मासिक चक्र से आराम मिलता है।
गर्भावस्था के दौरान जमा वसा को कम करने में बेहद कारगर। (इस मुद्रा को करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें)
छाती व वक्ष स्थल में फैलाव पैदा करता है।
इसका निरन्तर प्रयोग सियाटिका रोकने में लाभप्रद रहता है
कमर ,पीठ,उदर एवं बाजुओं की मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है।
चक्कीचालनासन की विधि
सर्वप्रथम आप किसी समतल शांत और स्वच्छ स्थान पर उचित आसन लगाकर अपने दोनों पैरों को पूरी तरह फैलाकर बैठ जाएँ।
फिर आप अपनी हथेलियों को मिलाकर हाथों को पकड़ते हुए बाजुओं को कन्धों की सीध में अपने सामने की ओर रखें।
एक लंबी गहरी साँस लेते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे झुकाये
अब एक काल्पनिक घेरा/ गोला बनाते हुए शरीर के ऊपरी भाग को दाहिनी ओर हिलाते हुए चक्राकार घुमाए
साँस भरते हुए आगे और दाहिनी ओर जाएँ और साँस छोड़ते हुए पीछे एवं बहिनी ओर। आगे से दाहिनी ओर जाते हुए साँस भरें।
इस क्रिया में निचले हिस्से में खिंचाव महसूस होगा पर पैरों को स्थिर रखें। धड़ के घूमने के कारण पैरों में हलकी गति स्वाभाविक है। बाजु पीठ के साथ घूमेगी।
घूमते हुए लंबी गहरी साँस लेते रहें। और आपको बाजुओं,उदर,कटि प्रदेश एवं पैरों में खिंचाव महसूस करे
यही क्रिया एक दिशा में 5 – 10 राउंड करने के बाद दूसरी दिशा में दोहराएँ।
चक्कीचलनासन में सावधानिया
इस आसन को गर्भवती स्त्री , रक्तचाप के रोगी तथा हाल ही में सर्जरी या हड्डी रोगी पूर्ण रूप से विशेषज्ञ की सलाह व देखरेख के बिना नही करे
इस आसन के प्रयोग से यदि पीठ के निचले हिस्से में अत्यधिक पीड़ा(स्लिप डिस्क की वजह से)सिर दर्द, माइग्रेन इत्यादि हो तो नही करे
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः